प्रादेशिक
गन्ना मूल्य भुगतान में सिर्फ बात नहीं, योगी सरकार ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़े
लखनऊ। प्रदेश में योगी सरकार ने पिछली दो सरकारों से अधिक गन्ना मूल्य भुगतान किया है। सरकार ने पौने पांच साल में डेढ़ लाख करोड़ से अधिक का भुगतान किया है। जबकि पिछली सरकारों के 10 साल के कार्यकाल में बसपा और सपा मिलकर भी इतना भुगतान नहीं कर पाईं, जितना योगी सरकार ने किया है। फर्क साफ है कि गन्ना किसानों को लेकर योगी सरकार ने सिर्फ बात नहीं की, बल्कि उनकी आमदनी दोगुनी करने की दिशा में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
योगी सरकार ने पेराई सत्र 2021-22 में 4,907.98 करोड़, 2020-21 में 30,547.23 करोड़, पेराई सत्र 2019-20 में 35,898.85 करोड़, 2018-19 में 33,048.06 करोड़ और 2017-18 के 35,444.06 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। साथ ही पिछले पेराई सत्रों का 10,661.38 करोड़ सहित अब तक कुल 1,50,508 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कराया जा चुका है, जो वर्ष 2012 से 17 के बीच गन्ना मूल्य भुगतान के मुकाबले 55,293 करोड़ और वर्ष 2007 से 12 के बीच गन्ना मूल्य भुगतान के मुकाबले 98,377 करोड़ अधिक है।
गन्ना पेराई और चीनी उत्पादन में भी बनाया रिकार्ड
वर्तमान पेराई सत्र 2021-22 में अब तक प्रदेश में संचालित 119 चीनी मिलों ने 292.01 लाख टन गन्ने की पेराई और 28.14 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। प्रदेश का औसत चीनी परता 9.64 प्रतिशत है। गत तीन पेराई सत्रों एवं पेराई सत्र 2020-21 को मिला कर प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा 4,289 लाख टन रिकार्ड गन्ने की पेराई कर 475.68 लाख टन चीनी का रिकार्ड उत्पादन किया।
सरकार की नीतियों के कारण बढ़ा गन्ना क्षेत्रफल
वर्तमान पेराई सत्र 2021-22 में प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल 27.60 लाख हेक्टेअर और गन्ना उत्पादन 2,250 लाख टन रहने का अनुमान है। पेराई सत्र 2016-17 में प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल 20.54 लाख हेक्टेअर था, जो वर्तमान पेराई सत्र 2021-22 में बढ़कर 27.60 लाख हेक्टेअर हो गया है। गन्ना क्षेत्रफल में हुई इस वृद्धि से साफ है कि सरकार की नीतियों के कारण किसानों का रुझान गन्ने की खेती की ओर बढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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