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ब्लाउज और ब्लू स्कर्ट पहन लड़की का रूप धर जेल से हुआ फरार, पकड़ाया

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असुन्सियोन (पैराग्वे)। आमतौर पर जेल से भागने के लिए कैदी अलग-अलग उपाय करते हैं। कभी एक चम्मच से ही सुरंग खोद दी, तो कहीं कोई हथकड़ी लगी होने के बाद फरार हो गए।

अब एक शख्स ने जेल से भागने के लिए जो किया वो जरा फ़िल्मी है। ये जनाब महिला के गेटअप में जेल से फरार हुए लेकिन बदकिस्मती धर लिए गए। मामला लैटिन अमेरिकी देश पैराग्वे का है।

इस कैदी का नाम सीजर ऑर्टिजू (César Ortíz) है। पैराग्वे के लोग उन्हें Gordito Lindo या Cute Chubby के नाम से भी जानते हैं। खबरों के मुताबिक, जेल में उनसे मिलने एक महिला आई थी। सीजर उस महिला के साथ प्राइवेट रूम में गए।

इसके कुछ ही टाइम बाद सीजर ने अंदर ही ब्लाउज और ब्लू स्कर्ट पहन लिया। यहां तक कि उसने नाखूनों पर नेल पॉलिश तक भी लगा ली। फेक आईलैशेज लगाया और चेहरे पर मेकअप करने के साथ-साथ उसने विग लगा लिया। सीजर ने पूरा महिला का रूप धर लिया।

नोटिस नहीं कर पाए लोग

महिला के गेटअप में सीजर कुछ चेक प्वाइंट्स को बड़ी आसानी से पार कर गए। किसी ने उनकी इस गलती के बारे में नोटिस भी नहीं किया। इसके बाद उन्होंने जेल के एग्जिट गेट का दरवाजा खोला, पर किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी।

जेल से कुछ ही दूरी पर सीजर को पुलिस ने फिर पकड़ लिया। उनके साथ तीन और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया। सभी पर सीजर को जेल से भगाने में मदद करने का आरोप लगा है।

किया गया कहीं और शिफ्ट

इस घटना के बाद हडकंप मच गया। अब सीजर को भी दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। वहीं सीजर की प्रेमिका ने इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज करवाई है। उन्होंने उसी जेल में सीजर को ट्रांसफर करने की बात कही है।

जानकारी के लिए बता दें कि सीजर, लैटिन अमेरिकी ड्रग डीलिंग गैंग Rotela Clan का सेकंड लीडर इन कमांड है। पैरग्वे में ड्रग ट्रेड को कंट्रोल करने के लिए जंग जारी है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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