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कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारा नहीं, सरकार का काम: मणिपुर हिंसा पर SC की फटकार

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Muslim side also got a blow from SC in Shri Krishna Janmabhoomi dispute

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नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज मणिपुर हिंसा को लेकर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून और व्यवस्था नहीं चला सकता है। ये काम चुनी हुई सरकार का है। दरअसल, कुकी समूहों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने राज्य में बढ़ती हिंसा के बारे में चिंता जताई।

उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा या कानून व्यवस्था के प्रबंधन में न्यायालय की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि इन कार्यवाहियों का इस्तेमाल हिंसा और अन्य समस्याओं को और बढ़ाने के मंच के रूप में किया जाए। हमें सचेत रहना चाहिए कि हम सुरक्षा या कानून व्यवस्था नहीं चला रहे हैं। यह एक मानवीय मुद्दा है और इसे उसी नजरिए से देखने की जरूरत है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हम कल मामले की सुनवाई करेंगे।

गोंसाल्वेस ने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार बढ़ावा दे रही है। उन्होंने राज्य सरकार पर हिंसा में शामिल सशस्त्र समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह यूएपीए में अधिसूचित सशस्त्र समूहों द्वारा गंभीर वृद्धि का मामला है। इनका उपयोग राज्य द्वारा किया जा रहा है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि हमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार के प्रति सचेत रहना चाहिए। हम कानून और व्यवस्था नहीं चला सकते। यह चुनी हुई सरकार का काम है। कानून व्यवस्था वही देखेगी। उन्होंने गोंसाल्वेस से सुनवाई की अगली तारीख पर बेहतर सुझाव देने का अनुरोध किया।

पिछले हफ्ते कोर्ट ने राज्य सरकार से हिंसा रोकने और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों पर अद्यतन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। अदालत ने राज्य की मौजूदा स्थिति पर मुख्य सचिव द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया।

अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से मणिपुर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अनुरोध पर विचार करने के लिए भी कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवश्यक आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण 10 किलोमीटर का राजमार्ग स्पष्ट हो। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई कल करेगा।

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सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी

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राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।

नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।

 

इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।

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