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उत्तर प्रदेश

महिला सशक्त तो समाज खूबसूरत, गोरक्षपीठ में कन्या पूजन का यही संदेश

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लखनऊ। महिलाओं को सशक्त बनाकर हर क्षेत्र का कायाकल्प संभव है। इसके जरिये हम अधिक संस्कारित, सभ्य, संवेदनशील, जवाबदेह और खूबसूरत समाज का निर्माण कर सकते हैं। क्योंकि, ये सारी खूबियां महिलाओं में होती हैं। शर्त ये है कि समाज उनको सम्मान देना सीखे। गोरखनाथ मंदिर में साल के दोनों नवरात्रि को नवमी तिथि पर विधिविधान से होने वाले कन्या पूजन का भी यही संदेश है।

गोरखनाथ मठ की न जाने कबसे चली आ रही इस परंपरा को मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ मिशन शक्ति के जरिये लगातार विस्तार दे रहे हैं। एंटी रोमियो स्क्वाड, पिंक टॉयलेट, पिंक बूथ, पिंक बसें, पीएसी में महिला बटालियन, थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मियों को पहली बार बीट पर तैनाती, लखपति दीदी, बैंक सखी, कृषि सखी, सुकन्या योजना, स्वयं सहायता समूहों का सशक्तिकरण, निराश्रित महिला पेंशन की पात्रता के लिए उम्र की सीमा खत्म करने के साथ धनराशि में वृद्धि जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं। मुख्यमंत्री का यह काम अपनी परंपरा, संस्कृति, संस्कार एवं इतिहास का सम्मान है। फिलहाल योगी सरकार में मिशन शक्ति का पांचवा चरण चल रहा है।

अबला को सबला बना रही योगी सरकार

उल्लेखनीय है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति जितनी ही प्राचीन है अपने देश में नारियों को सम्मान देने की परंपरा। डबल इंजन (मोदी और योगी) की सरकार इसी परंपरा को लगातार आगे बढ़ा रही है। इसमें से मिशन शक्ति सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। शारदीय नवरात्रि के दिन ही मुख्यमंत्री ने मिशन शक्ति के प्रथम चरण की शुरुआत देवीपाटन (देश के प्रमुख शक्तिपीठों में एक) से की थी। समय और स्थान का चयन खुद में एक बड़ा संदेश था।

पीठ की परंपरानुसार महिलाओं को सशक्त, सक्षम और स्वावलंबी बनाना सीएम योगी की मंशा

दरअसल योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, उसमें नारियों का बेहद सम्मान रहा है। लिहाजा उनके लिए मुख्यमंत्री बनने के बहुत पहले से ही अबला को सबला बनाना महज नारा नहीं, संकल्प रहा है। हर साल दोनों नवरात्रि में पीठ में इसका जीवंत स्वरूप भी दिखता है। रोज की खास पूजा के बाद नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन से इसका समापन होता है। खुद पीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री कन्यायों का पांव पखारते हैं। उनको भोजन कराते हैं और दक्षिणा देकर विदा करते हैं।

महिलाओं की शिक्षा और स्वावलंबन पर रहा है पीठ का खास फोकस

महिलाओं की शिक्षा और स्वालंबन पर भी गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का वर्षों से खासा फोकस रहा है। पीठ की ओर से संचालित शैक्षिक प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद कई दशकों से आधी आबादी के शैक्षिक पुनर्जागरण और आर्थिक स्वावलंबन का अलग-अलग तरीकों से पूरे पूर्वांचल में अलख जगा रहा है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षण संस्थाओं में से कई में बालिकाओं के लिए सह शिक्षा (को-एजुकेशन) की व्यवस्था है। करीब दर्जन भर ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जो विशेष तौर पर बालिकाओं की शिक्षा और उनके स्वावलंबन के लिए ही समर्पित हैं। महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज, महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज, महाराणा प्रताप टेलरिंग कॉलेज, दिग्विजयनाथ बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय, महाराणा प्रताप मीराबाई महिला छात्रावास, दिग्विजयनाथ महिला छात्रावास, गुरु श्रीगोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग, योगिराज बाबा गम्भीरनाथ निशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र जैसे संस्थानों से प्रतिवर्ष हजारों बालिकाएं अपने जीवन पथ पर ससम्मान आगे बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पीठ की परंपरा के अनुसार विभिन्न योजनाओं के जरिये अबला कही जाने वाली नारी को वह सबला बनाने में जुटे हैं, वह भी पूरी शिद्दत से।

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उत्तर प्रदेश

दीपोत्सव में झारखंड से दीप जलाने पहुंचेंगे 150 आदिवासी

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अयोध्या। योगी सरकार के आठवें दीपोत्सव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। प्रशासनिक खेमे के अलावा डॉ राम मनोहर लोहिया विवि ने भी इस दिशा में युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर दिया है। इस बार दीपोत्सव कुछ खास ही होने वाला है। इसमें झारखंड के 150 आदिवासी भी दीप जलाने के लिए पहुंच रहे हैं। यह आदिवासी स्वयंसेवक के रूप में घाटों पर जुटेंगे। उल्लेखनीय है कि अयोध्या में 2017 से राम की पैड़ी पर दीपोत्सव की शुरुआत हुई थी। उसके बाद से यहां दीपोत्कीसव के जरिए प्रतिवर्ष नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। ऐसे में, इस बार मुख्यमंत्री ने 25 लाख दीये जलाने का ऐलान किया है जिसके लिए 28 लाख दीपों को सरयू नदी के किनारे तटों पर बिछाया जाएगा। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अयोध्या नगरी को सजाने के काम शुरू कर दिया गया है।

10 हजार स्थानीय नागरिकों को भी मिलेगा मौका

राम की पैड़ी पर इस बार स्थानीय नागरिकों को भी शामिल करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए वहां पर चौड़े-चौड़े पलेटफॉर्म वाली सीढियां बनाई जा रही हैं, जो बिल्कुल स्टेडियम की तरह है।

बढ़ाई गई घाटों की संख्या, 51 से हुए 55

इस बार दीयो की संख्या बढ़ते ही घाटों की संख्या बढ़ा दी गई है। 51 से 55 कर दिया गया है। चौधरी चरण सिंह व भजन संध्या स्थल व अन्य घाटों को दीप जलाने के लिए शामिल किया गया है। वहीं 90 हजार लीटर सरसो के तेल के प्रयोग होने की बात बताई जा रही है।

40 लाख रुई बाती का होगा इस्तेमाल

दीपोत्सव में दीयो की संख्या बढ़ते ही रुई की बाती का इंतजाम भी किया जाने लगा है। बताया जाता है 40 लाख रुई की बाती लगेगी। स्वयंसेवक 25 से राम की पैड़ी के घाटों पर दीये बिछाने का कार्य शुरू कर देंगे।

और भी भव्य होगा दीपोत्सव

दीपोत्सव के नोडल अधिकारी डॉ एसएस मिश्र ने बताया हमारी तैयारियां तेजी से चल रही है। इस बार श्री राम भव्य महल में विराजमान हुए हैं। इसलिए दीपोत्सव को और भी भव्य तरीके से मनाया जाएगा।

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