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पश्चिम बंगाल: हावड़ा में पटाखे फोड़ने के दौरान घर में लगी आग, 3 बच्चों की मौत
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में शुक्रवार शाम काली पूजा के समय पटाखे फोड़ते समय एक घर में आग लग गई। आग में तीन बच्चे झुलस गए। आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल की दो गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाया। वहीं, बच्चों को पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटना उलुबेरिया में उस समय हुई, जब कुछ बच्चे पटाखे फोड़ रहे थे और चिंगारी पास में रखे कुछ पटाखों पर गिर गई, जिससे देखते ही देखते एक घर में आग लग गई और तीन बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया। हावड़ा डिविजनल फायर ऑफिसर के अनुसार, 9, 4 और 2.5 साल के बच्चों के जले हुए शव बरामद किए गए हैं। तीनों बच्चों के शव पोस्टमॉर्मट के लिए भेज दिए हैं।
दमकल विभाग के अधिकारी ने बताया कि दो दमकल गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया है। पश्चिम बंगाल के अग्निशमन सेवा मंत्री सुजीत बोस ने कहा, आग में तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। यह एक दुखद घटना है। मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ है।
आध्यात्म
आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
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