पश्चिम एशिया में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। इजरायल द्वारा किए गए सटीक हवाई हमलों में ईरान को भारी नुकसान पहुंचा है। इन हमलों में ईरान के खुफिया प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद काजमी और उनके डिप्टी हसन मोहाकिक की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि इस हमले ने ईरान के खुफिया ढांचे को झकझोर कर रख दिया है।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज़ (IDF) ने बयान जारी करते हुए कहा है कि यह ऑपरेशन ईरान की हथियार निर्माण क्षमता को खत्म करने के उद्देश्य से किया गया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ इजरायल ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को ईरानी खतरे से बचाने के लिए की गई है।
इसके जवाब में ईरान ने भी बैलिस्टिक मिसाइलों से इजरायली शहरों को निशाना बनाया, हालांकि अधिकांश मिसाइलों को इजरायली डिफेंस सिस्टम ने इंटरसेप्ट कर नाकाम कर दिया।
खामेनेई बंकर में, इजरायल की नजर अब शीर्ष नेतृत्व पर
सूत्रों के मुताबिक, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब एक सुरक्षित बंकर में हैं और वहीं से सैन्य कमांडरों के साथ हालात की निगरानी कर रहे हैं। इजरायली खुफिया एजेंसियों का मानना है कि अगर ईरान हमले नहीं रोकता, तो खामेनेई को भी निशाना बनाया जा सकता है। हालांकि शुरुआती हमलों में उन्हें जानबूझकर टारगेट नहीं किया गया — संभवतः उन्हें ईरान की यूरेनियम संवर्धन योजना रोकने का मौका देने के लिए। लेकिन अब माहौल तेजी से बदल रहा है।
अब पाकिस्तान की एंट्री, मुस्लिम देशों को समर्थन की अपील
इस संघर्ष में अब पाकिस्तान की भी अप्रत्यक्ष एंट्री हो गई है। ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के वरिष्ठ जनरल और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य मोहसेन रेजाई ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि पाकिस्तान ने आश्वासन दिया है कि यदि इजरायल परमाणु हमला करता है, तो ईरान की ओर से जवाबी परमाणु हमला होगा।
इसी क्रम में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी मुस्लिम देशों से अपील की है कि वे ईरान का समर्थन करें। 14 जून को पाकिस्तानी संसद में उन्होंने कहा, इजरायल द्वारा ईरान, यमन और फिलिस्तीन पर किए जा रहे हमले मुस्लिम दुनिया के लिए चेतावनी हैं। अगर मुस्लिम राष्ट्र एकजुट नहीं हुए, तो हर देश को इसी तरह का संकट झेलना पड़ेगा।”