लखनऊ। लगता है समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दिन ख़राब चल रहे हैं। एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ आजम खान को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट से तीन साल की सजा सुना दी गई है जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होना तय माना जा रहा है तो दूसरी तरफ अब चुनाव आयोग ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर शिकंजा कसा है।
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आयोग ने अखिलेश यादव से उनके उस आरोप पर सबूत देने के लिए कहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों और यादवों के नाम वोटर लिस्ट से जानबूझकर काटे गए। दरअसल, अखिलेश यादव ने लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में हर सीट पर यादवों और मुसलमानों के 20-20 हजार वोट हटवा दिए गए।
उन्होंने कहा था कि पूरी मशीनरी ने मिलकर सपा को मिली हुई जीत को बीजेपी को दिलवाने का काम किया है। अखिलेश ने कहा था, ‘चुनाव आयोग से हमें सबसे अधिक उम्मीद थी लेकिन उन्होंने बीजेपी के इशारे पर, पन्ना प्रभारियों के इशारे पर जानबूझकर हर विधानसभा सीट पर 20 हजार यादव और मुसलमान वोटरों के नाम काट दिए।’
उन्होंने कहा था कि हमने पहले भी कहा और आज भी कहते हैं कि जांच करके देख लें, 20-20 हजार वोट उड़ा दिए गए हैं। कईयों के नाम काट दिए गए। कई लोगों का बूथ चेंज कर दिया गया। इस बूथ से दूसरे बूथ पर पहुंचा दिया गया। अखिलेश के इसी आरोप पर गुरुवार को चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है। उनसे उनके आरोपों पर सबूत मांगे गए हैं।
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