यूपी विधानसभा चुनाव से ही समाजवादी पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी दिखीं। पहले तो कड़ी मेहनत के बाद भी सपा को असेंबली इलेक्शन में दूसरे नंबर की पार्टी होने पर संतुष्ट होना पड़ा। अब परिषद चुनाव में भी सपा का सूपड़ा साफ हो गया है। 27 में से 3 पर निर्दलीय प्रत्याशी जीत गए, लेकिन सपा का खाता भी नहीं खुला। अब एक और बड़ी परेशानी पार्टी के सामने आकर खड़ी हो गई है। दरअसल, बताया जा रहा है कि मुस्लिम सियासत का बड़ा चेहरा माने जाने वाले मोहम्मद आजम खां आगे चलकर सपा का साथ छोड़ सकते हैं।
जल से वापस आकर बना सकते हैं पार्टी?
इस खबर ने जोर तब पकड़ा जब बीते रविवार को हुई मीटिंग में आजम के समर्थकों ने अखिलेश यादव का मुखर होकर विरोध किया। अब ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद आजम खां जेल से छूट कर आएं तो सपा का साथ छोड़ दें और अपनी पार्टी बना लें। ऐसे संकेत आजम खां के मीडिया प्रभारी की ओर से भी मिले। हालांकि, उन्होंने कुछ भी साफ बोलने से इनकार कर दिया।
बर्क ने दिया था यह बयान
इतना ही नहीं, याद हो तो सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क भी कुछ समय पहले यह खुलकर कह रहे थे कि सपा ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया, जबकि पार्टी को मजबूती ही मुसलमानों के वोट से मिली है।
इस बात से नाराज हैं समर्थक
गौरतलब है कि आजम खां रामपुर शहर से 10वीं बार विधायक बने हैं। आजम खां सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। आजम खां की बदौलत ही सपा का रामपुर और आसपास की कई सीटों पर दबदबा है। हालांकि, इस चुनाव के बाद माहौल में कुछ बदलाव आया। आजम खां के समर्थकों का कहना है कि पार्टी का इतना बड़ा नेता जेल में है और मुखिया अखिलेश यादव की भूमिका कुछ संतोषजनक नहीं दिखी।