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गुजरात विस चुनाव से पहले भाजपा का बड़ा दांव, ला सकती है UCC
गांधीनगर। गुजरात विधानसभा से पहले सत्तारूढ़ भाजपा बड़ा दांव चल सकती है। वह उत्तराखंड की तर्ज पर गुजरात में भी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लाने की तैयारी कर रही है। इसके सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के लिए उत्तराखंड की तरह उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत एक समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश कर सकती है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है।
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गृह मंत्री दोपहर तीन बजे करेंगे प्रेस कान्फ्रेंस
सूत्रों के मुताबिक, आज मंत्रिमंडल की बैठक में समिति के गठन का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। गुजरात के गृह मंत्री दोपहर तीन बजे प्रेस कान्फ्रेंस करेंगे। माना जा रहा है कि वह इस बारे में ऐलान कर सकते हैं।
इससे पहले, भाजपा ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के समय वहां यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने की घोषणा की थी, जिसे सरकार बनने पर लागू किया गया। हिमाचल प्रदेश की सरकार ने भी समान नागरिक संहिता को लागू करने की घोषणा की थी।
क्या है यूनिफार्म सिविल कोड? (What is Uniform Civil Code)
यूनिफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम। यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। इसके लागू होने पर शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बंटवारे सभी में एक समान ही कानून लागू होगा, जिसका पालन सभी धर्मों के लोगों को करना अनिवार्य होगा।
यूनिफार्म सिविल कोड भाजपा के एजेंडे में शामिल
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी अपने घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता को शामिल किया था। यह ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से चर्चा में रहा है। भाजपा का मानना है कि लैंगिंग समानता तभी आएगी, जब यूनिफार्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा।
AIMPLB ने बताया ‘अल्पसंख्यक विरोधी कदम’
कई राजनेताओं ने यूनिफार्म सिविल कोड का समर्थन किया है। उनका मानना है कि इससे देश में समानता आएगी। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसे एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है।
गौरतलब है कि केंद्र ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह संसद को देश में समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है।
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सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी
राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।
नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।
इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।
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