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लाइफ स्टाइल

गर्मियों में रोजाना मूली खाने से होंगे कई फायदे, आज ही करें डाइट में शामिल

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benefits of eating radish daily in summer

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नई दिल्ली। लोगों को लगता है कि मूली केवल सर्दियों में उगती है और इसे तभी खाया जाता है, लेकिन मूली की कुछ किस्मे बसंत और गर्मियों में भी उगती हैं, जैसे कि गाजर। सफ़ेद मूली भारत में सबसे अधिक पाई जाने वाली किस्म है, जो स्प्रिंग-समर सीजन में मिलती है।

इसके अलावा मूली की अन्य किस्में भी हैं, जिसमें गुलाबी और कभी-कभी काले रंग की मूली शामिल है। हालांकि, कुछ लोगों को मूली पसंद नहीं होती, लेकिन हम आपको इसके कुछ ऐसे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप इसे खाने से परहेज नहीं करेंगे।

सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है मूली?

RBC को बढ़ाए: मूली हमारे शरीर में RBC (रेड ब्लड सेल्स) के डैमेज को होने से रोकता है और इस प्रक्रिया में खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी बढ़ाता है।

हाई फाइबर: अगर मूली को रोजाना सलाद के हिस्से के रूप में खाते हैं, तो यह शरीर में फाइबर की कमी को पूरा करता है, जिससे डाइजेशन में सुधार होता है।

दिल के लिए फायदेमंद: मूली एंथोसायनिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हमारे दिल को ठीक से काम करने में मदद करता है और जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। साथ ही इनमें विटामिन सी, फोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे: मूली पोटेशियम का भी अच्छा स्त्रोत है, जो ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकती है। खासकर अगर आप हाई बीपी से पीड़ित हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाए: मूली में हाई विटामिन सी होने के कारण यह सामान्य सर्दी और खांसी से बचा सकता है और इम्यूनिटी में भी सुधार कर सकता है। लेकिन इसके लिए आपको रोजाना मूली खाने की जरूरत होती है। इसके अलावा यह फ्री रैडिकल्स से होने वाले डैमेज से भी बचाता है।

ब्लड वैसल्स को मजबूत करता है: मूली कोलेजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो बदले में ब्लड वैसल्स को बूस्ट करती है और एथेरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना को कम करती है।

मेटाबॉलिज्म के लिए फायदेमंद: यह रूट वेजिटेबल न केवल डाइजेशन के लिए अच्छी है, बल्कि यह एसिडिटी, मोटापा, गैस्ट्रिक समस्याओं और मतली जैसी परेशानियों को ठीक करने में भी मदद करती है।

न्यूट्रिशन से भरपूर: लाल मूली में विटामिन ई, ए, सी, बी6 और के होता है और यह सभी हमारे शरीर को अच्छी तरह से फंक्शन करने में मदद करती है।

स्किन के लिए फायदेमंद: हर दिन मूली का रस पीने से स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है और ऐसा ज्यादातर विटामिन सी, जिंक और फास्फोरस के गुणों के कारण होता है।

इसके अलावा ड्राईनेस, मुंहासे, फुंसी और रैशेज को भी दूर रख जा सकता है। वहीं मूली के रस को बालों में लगाते हैं, तो यह डैंड्रफ को दूर करने में भी मदद करता है, बालों का झड़ना रोकता है और जड़ों को मजबूत बनाता है।

हाइड्रेट: गर्मियों में मूली खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है।

डिसक्लेमर: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

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लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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