अफगानिस्तान में तालीबान ने भारी पकड़ बना ली है और पड़ोसी देश इससे बचे रहने के लिए अफगान सीमाओं पर चौकन्ने हो गए हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया है कि तालीबान का आतंक पाक की ओर न बढ़े।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने कहा कि पाकिस्तानी सेना के जवानों ने फ्रंटियर कांस्टेबुलरी, लेविस फोर्स और अन्य मिलिशिया को फ्रंटलाइन पोजीशन से हटा दिया है। अमेरिका और नाटो अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी को पूरा करने के कगार पर हैं।
अहमद ने कहा कि एफसी बलूचिस्तान और गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले अन्य लड़ाकों को सीमा पर गश्त से वापस बुला लिया गया है। उन्होंने आगे कहा, “अब अर्धसैनिक बलों की जगह नियमित सेना के जवान सीमा पर तैनात हैं। सीमा पार तनाव की स्थिति के मद्देनजर यह फैसला किया गया है।” सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने हाल ही में एक टीवी चैनल को बताया कि सैनिक सीमा पर निगरानी कर रहे हैं ताकि वहां का संघर्ष अफगान धरती या हवाई क्षेत्र से पाकिस्तान की ओर न बढ़ सके।
इधर, रूस ने भी संभावित खतरों को रोकने के लिए ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती इलाकों में सैन्य उपकरण भेजे हैं। टोलो न्यूज ने ये जानकारी दी है। दरअसल, रूस पड़ोसी देशों में अस्थिरता के संभावित फैलाव को लेकर चिंतित है। ताजिकिस्तान रूसी जमीनी बलों के 201वें सैन्य अड्डे पर 6,000 से अधिक रूसी सैनिकों की मेजबानी कर रहा है। ये अड्डे विदेशी धरती पर रूस के कुछ सैन्य स्थलों में से एक है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, “हम अपने सहयोगियों के खिलाफ किसी भी आक्रामक अतिक्रमण को रोकने के लिए अफगानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान की सीमा पर रूसी सैन्य अड्डे का उपयोग करने सहित सब कुछ करेंगे।”