लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सकों ने एक बार फिर सिर्फ सुनकर ही सिहरन पैदा करने वाली स्थिति में पहुंची 7 वर्षीया बच्ची की बेहद जटिल सर्जरी कर उसकी गर्दन के रास्ते से दिमाग तक घुसी 8 सेेंटीमीटर लम्बी लोहे की कील को निकालकर बच्ची को नयी जिन्दगी देने में सफलता पायी है। सर्जरी के बाद करीब 13 दिन तक गहन निगरानी में रखने के बाद आज 29 मई को बच्ची को जर्नल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
ट्रॉमा सर्जरी विभाग के प्रो समीर मिश्रा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीती 15 मई को नवाजपुरा बलरामपुर की रहने वाली 7 वर्षीय बच्ची को गर्दन के रास्ते मुंह चीरकर दिमाग में घुसी कील की गंभीर स्थिति में ट्रॉमा सेंटर लाया गया था। उन्होेंने बताया कि दुर्घटना के बाद बच्ची को बलरामपुर में ही एक प्राइवेट अस्पताल में तथा बाद में जिला अस्पताल ले जाया गया था, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बच्ची को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया।
16 मई रात्रि 1 बजे ट्रॉमा सेंटर पहुंची बच्ची को डॉ समर और डॉ आशुतोष ने अटेंड किया और तत्काल जेआर टू डॉ प्रज्ज्वल और जेआर थ्री को बुलाया। मरीज को डॉ वैभव जायसवाल की टीम में भर्ती किया गया डॉ वैभव ने गहनता के साथ मरीज की तथा विभागाध्यक्ष डॉ संदीप तिवारी और प्रो समीर मिश्रा से केस के बारे में विचार-विमर्श सर्जरी करने का फैसला लिया।
उन्होंने बताया कि जांच करने पर पता चला कि 8 सेंटीमीटर की धारदार लोहे की कील बच्ची की गर्दन से मुंह को चीरते हुए दिमाग में खून की नली के पास घुसी थी। इसके बाद तुरंत ही न्यूरो सर्जरी और कान नाक गला ईएनटी सर्जरी विभाग से विचार विमर्श करके इस जटिल ऑपरेशन को करने का निर्णय लिया गया।
ऑपरेशन करने वाली टीम
ट्रॉमा सर्जरी- डॉ संदीप तिवारी विभागाध्यक्ष, डॉ समीर मिश्रा, डॉ वैभव जायसवाल, डॉ यदुवेंद्र धीर, सीनियर रेजीजेंट डॉ लोकेश कुमार गुप्ता, सीनियर रेजिडेंट डॉ आकांक्षा कुमारी, सीनियर रेजिडेंट डॉ रम्वीत चंद्र द्विवेदी, सीनियर रेजिडेंट डॉ विशाल, सीनियर रेजिडेंट डॉ अमन सिंह, जेआर 3 डॉ अर्पिता शुक्ला, जेआर 3 डॉ एकता सिंह, जेआर 3 डॉ अंजना मनहास, जेआर 2 प्रज्ज्वल जेआर 1 डॉक्टर समर प्रताप सिंह और जेआर 1 डॉ आशुतोष वर्मा