नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) ने मूनलाइटिंग (moonlighting) पर अपनी पॉलिसी स्पष्ट करते हुए कहा कि उसने पिछले 12 महीनों में इस कारण से कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
हालांकि कंपनी ने मूनलाइटिंग (moonlighting) के कारण नौकरी से निकाले जाने वाले कर्मचारियों की सटीक संख्या के बारे में कुछ नहीं बताया। मूनलाइटिंग पर Infosys के सीईओ सलिल पारेख ने कहा कि हम कभी एक साथ दो नौकरियां करने का समर्थन नहीं करते हैं।
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अगर कोई कर्मचारी एक साथ दो नौकरियां करते हुए पाया गया है, तो यह गोपनीयता का मुद्दा है और हमने ऐसे कर्मचारियों को संस्थान से बाहर का रास्ता दिखाया है। हालांकि कंपनी ने नौकरी के साथ गिग प्रोजेक्ट में काम करने का समर्थन किया।
गिग प्रोजेक्ट पर पारिख ने कहा कि जो भी कर्मचारी अपनी नौकरी के साथ गिग प्रोजेक्ट में काम करना चाहते हैं, वे लोग अपने मैनेजर की अनुमति के बाद कर सकते हैं।
विप्रो भी उठा चुकी है ऐसा ही कदम
इससे पहले देश की एक और बड़ी आईटी कंपनी विप्रो ने मूनलाइटिंग के कारण अपने करीब 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकल दिया था। कंपनी ने मूनलाइटिंग को कर्मचारियों का विश्ववासघात बताया।
क्या है moonlighting
देश में इस समय चर्चा का विषय बन चुके मूनलाइटिंग की शुरुआत विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी के ट्वीट के बाद हुई थी, जिसमें उन्होंने इसे कंपनियों के साथ धोखा बताया था।
बता दें, मूनलाइटिंग वह होती है, जिसमें किसी कंपनी का कर्मचारी एक नौकरी करते हुए बिना अपने पहले नियोक्ता को बताए दूसरी नौकरी करता है।
हाल के दिनों में इस पर काफी चर्चा हो रही है। मूनलाइटिंग के ट्रेंड की शुरुआत पहले पश्चिमी देशों में हुई थी, लेकिन कोरोना के दौरान वर्क फ्रॉम होम होने के कारण ये तेजी से भारत में लोकप्रिय हुआ।
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