Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

बिजनेस

आरबीआई से मुख्य दर घटाने की मांग

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा से एक दिन पहले कारोबारी, विश्लेषक और सरकार ने मुख्य नीतिग दरों में कटौती किए जाने और मौद्रिक नीति में नरमी बरतने की गुजारिश की। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, “विकास की गति और रोजगार बढ़ाने के लिए पूंजी खर्च बढ़ाया जाना जरूरी है।”

उन्होंने कहा, “अवसंरचना में जहां सरकारी निवेश को बढ़ाया जा रहा है, वहीं क्षमता का कम उपयोग होने तथा मांग कम रहने के कारण निजी निवेश अब भी नहीं हो रहा है।”

फिक्की के मुताबिक, कई चक्रों के सर्वेक्षण से पता चलता है कि निवेशक निवेश करने में सकुचा रहे हैं, क्योंकि उनके मुताबिक कर्ज की उपलब्धता और लागत एक प्रमुख चिंता का विषय है।

सरकार की ओर से वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण और बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने भी आरबीआई से दर घटाकर कारोबारी जगत को सुस्ती से बाहर निकलने में मदद करने की अपील की है।

सीतारमण ने कहा था, “मैं सिर्फ उतनी ब्याज दर रखने का अनुरोध कर रही हूं, जितना वहन किया जा सके, क्योंकि दुनिया भर में कर्ज काफी सस्ता है।”

उन्होंने कहा, “आर्थिक तेजी की वापसी के लिए दर में कटौती जरूरी है।”

बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था, “पूरा देश सांसें थाम कर दरों में कटौती का इंतजार कर रहा है।”

गोयल ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दर घटेगी।”

आरबीआई ने जनवरी और मार्च 2015 में नियत समय से अलग हटकर दो बार दरों में कटौती की है, जिसके बाद रेपो दर अभी 7.5 फीसदी है।

रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं।

फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में दरों को जस-का-तस छोड़ दिया गया था।

अप्रैल में रेपो दर में कटौती नहीं करते हुए आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि वह वाणिज्यिक बैंकों से पिछली दो कटौती का लाभ आम ग्राहकों तक पहुंचाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बैंकों के इस दावे को खारिज किया था कि पूंजी की लागत काफी अधिक है।

जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने आईएएनएस से कहा, “अभी 25 फीसदी कटौती की उम्मीद की जा रहा है। 50 फीसदी कटौती किए जाने से हालांकि बाजार में तेजी का दौर शुरू हो जाएगा।”

महंगाई दर की स्थिति उम्मीद से बेहतर होने के कारण बाजार को उम्मीद है कि आरबीआई कटौती का फैसला कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता महंगाई दर जहां करीब 40 फीसदी घटकर अप्रैल में 4.87 फीसदी दर्ज की गई है, वहीं थोक महंगाई दर अप्रैल में नकारात्मक 2.65 फीसदी रही है, जो एक महीने पहले भी नकारात्मक 2.33 फीसदी थी।

इस वर्ष मार्च महीने में औद्योगिक उत्पादन सिर्फ 2.1 फीसदी बढ़ पाया।

नेवगी ने कहा, “आगामी सप्ताह में ग्रीस कर्ज संकट को देखते हुए बाजार में गिरावट की उम्मीद के बीच 25 से 50 फीसदी दर कटौती से बाजार को स्थिरता मिल सकती है।”

मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा में राजन की भाषा शैली भी काफी महत्वपूर्ण होगी और निवेशक ब्याज दर बढ़ाने की अमेरिकी फेडरल रिजर्व की योजना से निपटने में आरबीआई की रणनीति का अनुमान लगाने की कोशिश करेंगे।

नेवगी ने कहा, “आरबीआई गवर्नर के बयान में बाजार में तेजी या गिरावट लाने की क्षमता है।”

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending