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प्रादेशिक

ओडिशा की 26 कोयला खदानों की पट्टा अवधि बढ़ाने की सिफारिश

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भुवनेश्वर,विकास-विनियमन,सर्वोच्च-न्यायालय,कोयला-खदानों,एमएमडीआर,पर्यावरण

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भुवनेश्वर | ओडिशा सरकार की एक अंतर्विभागीय समिति ने शनिवार को 26 कोयला खदानों के पट्टे की अवधि बढ़ाने की सिफारिश की है। खदानों की पट्टा अवधि बढ़ाने की यह सिफारिश नए कोयला एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत की गई।

विकास आयुक्त यू.एन बेहरा की अध्यक्षता वाली समिति ने 18 नॉन कैप्टिव खदानों सहित 26 खदानों की पट्टा अवधि बढ़ाने की सिफारिश की है। सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2014 में इन कोयला खदानों को बंद करने का निर्देश दिया था। हालांकि राज्य सरकार को इन खदानों की पट्टा अवधि बढ़ाने पर अंतिम फैसला करना है। अंतर्विभागीय समिति ने राज्य में 26 कोयला खदानों की पट्टा अवधि बढ़ाने की सिफारिश की है। इन सभी खदानों को वन एवं पर्यावरण मंजूरियों सहित सभी वैधानिक मंजूरियां मिल गई हैं। खदानों के निदेशक दीपक मोहंती ने कहा, “बंद पड़ी कोयला खदानों को दोबारा खोलने का फैसला नए एमएमडीआर अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुसार किया गया।”

उन्होंने कहा कि समिति ने एमएमडीआर अधिनियम के प्रावधानों के तहत कैप्टिव खदानों (ऐसी खदानों से उत्पादित कोयले का इस्तेमाल स्वामित्व रखने वाली कंपनियां खुद करती हैं) की पट्टा अवधि को 2030 तक और नॉन कैप्टिव खदानों की पट्टा अवधि को 2020 तक बढ़ाने की सिफारिश की है। जिन 26 कोयला खदानों को दोबारा चालू करने की सिफारिश की गई है। उनमें 22 कोयला खदानें ऐसी हैं, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद बंद कर दी गई थीं।

पिछले साल मई में सर्वोच्च न्यायालय ने 26 कोयला खदानों को बंद कर दिया था। सरकार ने राज्य में आठ खदानों को संचालित करने के निर्देश जारी किए थे। भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) की तीन कोयला खदानों और ओएमसी की एक कोयला खदान की पट्टा अवधि भी बढ़ाई जाएगी। मोहंती ने कहा कि समिति ने टाटा स्टील की बाकी चार खदानों की भी पट्टा अवधि बढ़ाने की सिफारिश की है। लेकिन सरकार द्वारा खदानों में संचालन दोबारा शुरू करने जैसे समान निर्देश जारी करने तक 18 कोयला खदानों में संचालन बंद रहेगा।

राज्य सरकार ने नॉन कैप्टिव खदानों पर विचार करने के लिए इस साल फरवरी में सर्वोच्च न्यायालय से दो महीने का अतिरिक्त समय मांगा था। सरकार ने अनुरोध किया था कि एमएमडीआर संशोधन अधिनियम 2015 में नए संशोधनों को पेश करने के परिणामस्वरूप इन मामलों की जांच के लिए अधिक समय की जरूरत है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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