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प्रादेशिक

कारागार मुख्यालय के बाबुओं को अब देना होगा टाइपिंग टेस्ट

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राकेश यादव

-टाइप का ज्ञान नहीं होने की लगातार मिल रही थीं शिकायतें

-एआईजी प्रशासन ने जारी किया तुगलकी फरमान

लखनऊ। 40 साल तक लिपिक का काम करने वाले बाबुओं को अब टाइपिंग टेस्ट देना होगा। टाइपिंग टेस्ट आर्हता नहीं आने पर इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन के इस तुगलकी फरमान से कारागार मुख्यालय के बाबुओं की नींद उड़ गई है। आधे से अधिक नौकरी पूरी कर चुके इन बाबुओं को एडीजी प्रशासन का फरमान रास नहीं आ रहा है। चर्चा है कि टाइपिंग टेस्ट में गति सीमा कम होने पर कई बाबुओं को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ सकता है। इसके साथ ही अयोग्य बाबुओं को वीआरएस भी दिया जा सकता है।

बीती 23 सितम्बर को अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन डा.रियाज अख्तर ने कारागार मुख्यालय में तैनात कर्मियों के लिए एक फरमान जारी किया। इस फरमान में कहा गया कि मुख्यालय में तैनात अनुभाग अधिकारी लगातार इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि मुख्यालय में कार्यरत बाबुओं को टंकण (टाइपिंग) का ज्ञान नहीं होने की वजह से कार्य में व्यवधान होने के साथ साथ तमाम तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ऐसा तब है जब लिपिक संवर्ग के कर्मियों को टाइपिंग का ज्ञान होना अनिवार्य आर्हता है। एडीजी प्रशासन ने फरमान में कहा है कि बीती 3 जुलाई 2014 को यह निर्देश दिया गया था कि जिन बाबुओं को टंकण का ज्ञान नहीं है वो तीन माह के अंतराल में टंकण का ज्ञान सीख कर अपने दायित्यों का निर्वहन करें। इस संबध में समस्त अनुभाग अधिकारी अपने अनुभाग में तैनात टंकण कर्मियों को 15 दिन का समय दें। इस अवधि के बाद अनुभाग मे तैनात कर्मियों का किसी भी कार्य दिवस मे टंकण ज्ञान का परीक्षण किया जाए। इस परीक्षा मे टंकण ज्ञान की गति सामान्य नहीं होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाए।

एआईजी प्रशासन के इस फरमान से कारागार मुख्यालय में तैनात लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों में खलबली मची हुई है। बताया गया है कि मुख्यालय में इस संवर्ग के ऐसे भी कर्मचारी मौजूद हैं, जिन्होंने नियुक्ति के बाद से अब तक टाइपिस्ट का काम किया ही नहीं। उधर एआईजी प्रशासन डा.रियाज अख्तर ने टंकण ज्ञान टेस्ट के लिए प्रपत्र जारी करने के आदेश दिए जाने की पुष्टि की है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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