मुख्य समाचार
केजरी-जंग की जंग में पिसती दिल्ली की जनता
कहते हैं गलती करना बुरा नहीं है बल्कि गलती करते रहना बुरा है। दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग की आपसी खींचतान में गलती किसकी है, यह तो अब देश की शीर्षस्थ अदालत को तय करना है क्योंकि मामला इस समय वहीं पर है लेकिन इस खींचतान से दिल्ली की जनता के हितों पर विपरीत असर पड़ रहा है।
ताजा विवाद में बिहार सरकार केंद्र में है, बिहार से छह पुलिस अधिकारियों को दिल्ली की एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ज्वाइन करा दिया है। इस ज्वाइनिंग पर प्रतिक्रिया देते हुए एलजी नजीब जंग का कहना है कि एसीबी दिल्ली के उपराज्यपाल की देखरेख और नियंत्रण में काम करती है। डेप्युटेशन पर बुलाए गए अधिकारियों के लिए मुझसे या केंद्रीय गृहमंत्रालय से इजाजत नहीं ली गई जो संविधान का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है।
वहीं दिल्ली सरकार के लोगों का कहना है कि इसकी जरूरत नहीं है। वैसे दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जब अधिकारियों को डेप्युटेशन पर भेजा जाता है तो यह काम केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए ही किया जाना चाहिए।
हालांकि केजरी-जंग विवाद पर माननीय दिल्ली हाई कोर्ट और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को उनकी हद बता दी थी। माननीय अदालतों के फैसलों से जो निष्कर्ष निकला था उससे यही लगता है कि नजीब जंग अपनी जगह सही हैं। तो क्या मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए केजरीवाल ने फिर एक ड्रामा रचा है? क्या अपने कभी न पूरा कर पाने वाले वादों को निभाने से बचने के लिए अरविंद केजरीवाल व उनकी खिलंदड़ी टीम नित एक नया नाटक कर रही है?
सवाल चाहे जितने हों जवाब सिर्फ एक ही है कि दिल्ली की जनता ठगी गई है। विकास और भ्रष्टाचार के खात्मे के नाम पर भारी बहुमत प्राप्त कर सत्ता में आई टीम केजरवाल अब कुछ और ही कर रही है। नित नए विवादों को जन्म देना इनकी फितरत बनती जा रही है। वैसे जवाबदेही से बचने का यह हास्यास्पद तरीका सिर्फ पांच साल ही चलेगा उसके बाद तो जनता सड़कों पर उतरकर हिसाब मांगेगी। हालांकि पांच साल विकास की दौड़ में पीछे छूट जाना किसी भी राज्य को काफी पीछे कर देता है।
दिल्ली की जनता ने जो फैसला दिया उसके मुताबिक तो केजरीवाल सरकार को काम करने से कोई रोक ही नहीं सकता लेकिन काम न करने वालों के लिए सैकड़ों बहाने होते हैं। केजरीवाल और उनके मंत्री आजकल इसी तरह के बहाने ढ़ूढ़ने में लगे हुए है। अच्छा हो कि बहानेबाजी छोड़कर केजरीवाल दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरे जिसके लिए लोगों ने उन्हें वोट दिया है।
मुख्य समाचार
बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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