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खेल-कूद

तेज गेंदबाजों पर टिकी भारत की उम्मीदें

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कोलकाता। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में चल रहे आईसीसी विश्व कप-2015 में अब तक भारत के तेज गेंदबाजों ने न सिर्फ अपने शानदार प्रदर्शन से अपने प्रशंसकों का दिल जीत लिया है, बल्कि खिताब बचाने के लिए अब वे मुख्य उम्मीद बन चुके हैं।

इतिहास पर गौर करें तो भारत अब तक जब-जब विश्व कप जीतने में सफल रहा है तो उसमें तेज गेंदबाजों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इस बार मोहम्मद शमी 17 विकेट लेकर भारत के सबसे सफल गेंदबाज रहे हैं, तो पिछली बार भारत को चैम्पियन बनाने में अनुभवी तेज गेंदबाज जहीर खान ने 21 विकेट चटकाए थे और पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी के साथ विश्व कप-2011 के शीर्ष गेंदबाज रहे थे।

तेज गेदंबाज कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम 1983 में पहली बार विश्व चैम्पियन बनने में सफल रही थी और उस टूर्नामेंट में तेज गेंदबाज रोजर बिन्नी ने 18 विकेट चटकाए थे और टूर्नामेंट के सर्वाधिक विकेट चटकाने वाले गेंदबाज रहे थे। बिन्नी के अलावा मदन लाल (17 विकेट) दूसरे स्थान पर रहे थे। शमी को हालांकि पूर्व दिग्गजों जैसा प्रदर्शन करने के लिए अभी काफी दूरी तय करनी है, लेकिन इतना तो निश्चित ही कहा जा सकता है कि वह बिल्कुल सटीक दिशा में जा रहे हैं और गुरुवार को आस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में भी उनसे यह लय बरकरार रखने की उम्मीद है।

विश्व कप में शमी को उनके साथी तेज गेंदबाज उमेश यादव का भी भरपूर साथ मिला है। उमेश भी अब तक 14 विकेट हासिल कर चुके हैं और टीम के सेमीफाइनल तक के सफर में अहम साबित हुए हैं। भारतीय गेंदबाजी के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि विश्व कप से ठीक पहले आस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट श्रृंखला और एकदिवसीय त्रिकोणीय श्रृंखला में वे बुरी तरह फ्लाप रहे थे और विश्व कप के लिए उनको लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं। लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने जिस तरह विश्व कप में पूरी बिसात ही पलट दी है उससे प्रशंसकों का दिल बाग-बाग है।

भारतीय गेंदबाजों ने विश्व कप में इतिहास रचते हुए अब तक खेले सभी सात मैचों में अपनी विपक्षी टीमों को ऑल आउट करने का कारनाम कर डाला। भारतीय गेंदबाजों ने बीते सात मैचों में 70 विकेट हासिल किए हैं और इसमें भी 43 विकेट तेज गेंदबाजों ने चटकाए हैं।
अब भारतीय गेंदबाजों की सिडनी क्रिकेट मैदान पर आस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ एक और बड़ी परीक्षा है, जिसे पास करने में इन तेज गेंदबाजों से एक बार फिर काफी उम्मादें हैं।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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