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प्रादेशिक

हम तो परीक्षा में किताब उपलब्ध करा देते : लालू

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पटना| मैट्रिक परीक्षा के दौरान नकल को लेकर समूचे देश में भले ही बिहार की किरकिरी हुई हो और जनता दल-युनाइटेड सरकार की भद्द पिटी हो, लेकिन इस पर तरह-तरह के बयानों का दौर जारी है। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने एक अजीबोगरीब बयान देकर इस मामले को फिर गरमा दिया है। उन्होंने कहा कि उनका राज रहता तो छात्रों को परीक्षा हॉल में किताब ले जाने की छूट देती। बक्सर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष ने अपने अंदाज में कहा, “अगर हमारा राज होता तो हम परीक्षा में किताब ही उपलब्ध करा देते। अरे भई बच्चे जो पढ़े हैं, वही तो लिखेंगे। राजद शासनकाल की परीक्षा में पूरी आजादी रहती थी।”

उन्होंने शिक्षा मंत्री प्रशांत कुमार शाही के बयान पर भी कटाक्ष किया और खास लहजे में कहा, “जब सरकार कदाचार रोक ही नहीं सकती है तो हमको (राजद सरकार) को क्यों हटाया गया?” अपनी अगली बात में हालांकि लालू परीक्षा में नकल से चिंतित लगे। उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था कैसी हो गई है, यह सभी लोग देख रहे हैं। इस तरह पास करने से छात्रों को क्या फायदा होगा? एक सच यह भी है कि राजद शासन के दौरान परीक्षाओं में धड़ल्ले से नकल चली थी और उस दौरान परीक्षा पास करने वालों का उपहास यह कहकर उड़ाया जाने लगा था कि ये ‘लालू डिवीजन’ से पास हैं।

इधर, लालू के दोरंगे बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा, “लगता है, बिहार में जंगल राज पार्ट-2 आ गया है।” उन्होंने कहा कि एक ओर मंत्री नकल रोकने में असमर्थता जता रहे हैं और दूसरी ओर सरकार को समर्थन दे रही एक पार्टी के अध्यक्ष परीक्षा में किताब देने की बात कर रहे हैं। इसी से बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल समझा जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर भाजपा की सरकार बनी तो परीक्षा कदाचार मुक्त होगी।

वैशाली जिले के एक उच्च विद्यालय में परीक्षार्थियों तक चिट पहुंचाने के लिए जान जोखिम में डालकर ऊंची-ऊंची दीवारों व खिड़कियों पर चढ़े अभिभावकों की तस्वीरें टीवी चैनलों, सोशल मीडिया व अखबारों मे आने के बाद कदाचार को लेकर बिहार की किरकिरी हो रही है। शिक्षा मंत्री शाही का बयान आया कि परीक्षा में कदाचार रोकना अेकेले सरकार के बूते के बाहर की बात है। उल्लेखनीय है कि बिहार में 14 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं मैट्रिक परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। इसके लिए 1200 से ज्यादा परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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