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हिमाचल : ई-विधानसभा में पीछे छूटी मेज थपथपाने की परंपरा

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शिमला हिमाचल प्रदेश विधानसभा में तकनीक के कारण मेज थपथपाने की परंपरा पीछे छूट गई है। साथ ही इस कागज रहित विधानसभा से हर साल लगभग 15 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिलेगी।

11 मार्च से शुरू हुए एक माह लंबे बजट सत्र के दौरान तकनीक की कम समझ रखने वाले सदस्य अपने कम्प्यूटर पर उंगलियां चलाने में ही व्यस्त दिखते हैं। विधानसभा की कार्यवाही के समय बमुश्किल ही वे अपनी मेजें थपथपा पाते हैं।

राज्य के राज्यपाल कल्याण सिंह ने अपने उद्घाटन समारोह में कहा था कि विधानसभा की कार्यवाही के डिजिटलीकरण से राज्य सरकार न केवल 15 करोड़ रुपये बचा पाएगी, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा हो सकेगी। डिजिटलीकरण से विधानसभा और इसकी समितियों की कार्यवाही कागज रहित हो गई है।

करीब 8.12 करोड़ रुपये की लागत से ई-विधानसभा परियोजना को पिछले मानसून सत्र में चालू किया गया था। इसके लिए केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वित्त उपलब्ध कराया था। वेब आधारित कागज रहित विधानसभा इस प्रकार की देश की पहली परियोजना है।

अपने 18वें बजट भाषण में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि ई-विधान प्रणाली को पिछले साल चार अगस्त को शुरू किया गया था। इससे भारी मात्रा में कागज को बचाने में सहायता मिली। उन्होंने कहा कि इस पहल की पूरे देश में सराहना की गई है। लेकिन इस बार विधानसभा में मेजों के थपथपाने की आवाज नहीं सुनाई दी, जिसके लिए इसे जाना जाता है। मेज बजाने की परंपरा उपलब्धियों और नई घोषणाओं के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका होती है।

मुख्यमंत्री 18 मार्च को जब अपने बजट भाषण में योजनाओं और खर्चे की घोषणा कर रहे थे, उस समय सदस्य उनके पूरे भाषण को अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर पढ़ने में व्यस्त थे।

विधानसभा की पूरी कार्यवाही के दौरान सत्ताधारी पार्टी के सभी सदस्य मौजूद थे, बावजूद इसके कई मौकों पर वे मेज बचाने से चूक गए।

वेब आधारित तकनीक से कई समस्याएं भी आ रही हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य रणधीर शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष बी.बी.एल. बुटेल से 19 मार्च को प्रश्नकाल के दौरान कहा कि एक उत्तर के प्रिंट आउट में और कम्प्यूटर पर दिखाए जा रहे आंकड़े में बहुत अंतर है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा, “प्रिंट आउट में आंकड़े बता रहे हैं कि 15 शैक्षिक योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने 71,309.43 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं, जबकि कम्प्यूटर दिखा रहा है कि इन योजनाओं के लिए केंद्र ने 55,891.40 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। कौन सा उत्तर सही है?”

इसके बाद विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने हस्तक्षेप करते हुए पूछा, “क्या यह गलती है?”

इस पर बुटेल सिंह ने कहा, “यह गलती हो सकती है, इसे सही कर दिया जाएगा।” वहीं मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रिंटआउट में दिया गया आंकड़ा सही है।

बुटेल ने कहा कि अगले सत्र से सभी प्रश्नों के उत्तर केवल ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस सत्र में पहली बार सभी विधेयकों और रपटों की कॉपियां ऑनलाइन सदन के पटल पर रखी गई हैं।

बुटेल ने आईएएनएस से कहा, “विधायकों, कर्मचारियों और पत्रकारों को केवल तारांगित और अतारांगित प्रश्नों के उत्तर के प्रिंटआउट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

 

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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