उत्तराखंड
उत्पीड़न से तंग आकर युवक ने की खुदकुशी
मसूरी। लाइब्रेरी स्थित गेस्ट हाउस के एक कमरे में टिहरी के एक युवक ने खुदकुशी कर ली। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है। जिसमें युवक ने साहसिक पर्यटन स्थल नागटिब्बा के गोट विलेज हट्स की संचालिका पर आरोप लगाया है कि उसके उत्पीड़न से तंग आकर वह आत्महत्या कर रहा है।
मरने वाला संजय पुत्र मूसा लाल, बंगार जौनपुर टिहरी गढ़वाल का निवासी था। संजय के भाई बबलू ने बताया कि दो महीने बाद उसकी शादी होने वाली थी। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही जांच की दिशा तय होगी।
शहर कोतवाल कमलेश नंबूरी ने बताया कि जौनपुर प्रखंड में स्थित साहसिक पर्यटक स्थल नागटिब्बा के गोट विलेज हट्स में काम करने वाला युवक संजय लाइब्रेरी स्थित ब्लोजम प्लस गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 502 में ठहरा था। सोमवार सुबह 11 बजे के करीब गेस्ट हाउस कर्मचारी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया तो भीतर से कोई आवाज नहीं आई तो उसने साथी कर्मचारियों और पुलिस को बुला लिया।
पुलिस दरवाजा तोड़कर कमरे में दाखिल हुई तो युवक मृत अवस्था में मिला। मौके से पुलिस को सुसाइड नोट, एक बैग और जहरीले पदार्थ की दो शीशी, ग्लास, बीयर की बोतल और एक डोंगे में चिकन मिला है।
युवक ने सुसाइड नोट में गोट विलेज की संचालिका पूर्णिमा प्रभात सिंह पर आरोप लगाया कि वह उसका मानसिक उत्पीड़न करती थी।
इससे तंग आकर उसने खुदकुशी की है। साथ ही लिखा है कि घरवालों को परेशान मत करना और बैग में रखे तीस हजार रुपये और दो मोबाइल फोन घरवालों को दे देना।
पुलिस ने परिजनों को दूरभाष पर सूचना दी। पुलिस ने गोट विलेज के संचालक को भी तलब किया है। बताया जाता है कि कुछ दिनों से उक्त हट्स का प्रबंधक अवकाश पर था। हट्स की पूरी देखभाल संजय ही कर रहा था।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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