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उत्तराखंड

उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड के साथ ओयो का समझौता

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उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड, ओयो का समझौता

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उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड, ओयो का समझौता

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ओयो उत्तराखण्ड में पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास हेतू होमस्टे को बढ़ावा देने हेतू तत्पर

देहरादून। भारत में होटलों के सबसे बड़े ब्राण्डेड नेटवर्क ओयो ने उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह साझेदारी राज्य में पर्यटन सम्बन्धी आतिथ्य प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

ओयो पर्यटकों एवं आगंतुकों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए आतिथ्य क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का सही इस्तेमाल करके लोकल होमस्टे को कहीं बेहतर बनाने हेतू तत्पर है।

साझेदारी के पहले चरण में ओयो पहले से 15 होमस्टे को यूटीडीबी के साथ पंजीकृत कर चुका है। मानकीकरण की इस प्रक्रिया के बाद ओयो के स्थापित चैनलों पर इन सम्पत्तियों की लिस्टिंग और विपणन किया जाएगा।

इस मौके पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए ओयो के चीफ आपरेटिंग आफिसर अभिनव सिन्हा ने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि हमें राज्य में पर्यटन की दृष्टि से अनुकूल बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उत्तराखण्ड सरकार के साथ साझेदारी का मौका मिला है।

हम अपने प्रयासों के माध्यम से पर्यटन की बुनियादी संरचनाओं को अपग्रेड एवं मानकीकृत करने के साथ इस बात को भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि स्थानीय प्रणाली में किसी तरह की बाधा न आए। ओयो ने अनब्राण्डेड होटल सेगमेन्ट में अतिथियों को उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करने साथ सुविधाओं के मानकीकरण में ज़बरदस्त विशेषज्ञता हासिल कर ली है।

ऐसे में यह क़रार हमें हमारे इस कौशल एवं सबक को उत्तराखण्ड राज्य को स्थानान्तरित करने में मदद करेगा।’’

यूटीडीबी के सीईओ शैलेष बगौली ने कहा, ‘‘ होटल नेटवर्क में देश के अग्रणी ब्राण्ड ओयो के साथ जुड़ना उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड के लिए बेहद खुशी की बात है।

हमें विश्वास है कि देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक इन्वेंटरी के मानकीकरण एवं विपणन में ओयो की विशेषज्ञता के साथ यह साझेदारी बेहद कारगर साबित होगी। हमें उम्मीद है कि हमारे संयुक्त प्रयास उत्तराखण्ड में पर्यटकों को बेहतर स्टे का अनुभव प्रदान करेंगे और अधिक संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करेंगे।’’

उत्तराखण्ड न केवल परिवारों के लिए और रोमांच की दृष्टि से घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए पसंदीदा गंतव्य है, बल्कि यह चार धाम यात्रा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। ओयो के मानकीकृत होमस्टे मुख्य नगरों जैसे देहरादून, नैनीताल, मसूरी, हरिद्वार और हल्द्वानी में स्थित है।

एक प्रारूपिक होमस्टे के विपरीत, ये सम्पत्तियां ओयो की सभी मानकीकृत सुविधाओं से युक्त होती हैं जो आगंतुकों को उत्कृष्ट सेवाओं का अनुभव प्रदान करती हैं।

आगंतुक इन सभी सम्पत्तियों में फ्लैट-स्क्रीन टीवी, फ्री वाय-फाय, काॅम्प्लीमेंटरी ब्रेकफास्ट की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा इसकी सभी सम्पत्तियों में सीसीटीवी कैमरों के द्वारा पर्यटकों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जाता है।

ओयो का इस्तेमाल करते हुए पर्यटक पांच सैकण्ड से भी कम समय में अपने लिए बुकिंग कर सकते हैं। देश के 180 शहरों में 6000 होटलों केे व्यापक नेटवर्क के साथ ओयो सशक्त आपूर्ति चैनल उपलब्ध कराता है।

यह होमस्टे के मालिक को विक्रेता के साथ जोड़ता है तथा किफ़ायती दरों पर सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता के उत्पादों के साथ पूरी मानकीकरण प्रक्रिया को बेहद लागत-प्रभावी बनाता है।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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