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महिलाओं को हाजी अली दरगाह के मजार क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति

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हाजी अली दरगाह

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हाजी अली दरगाहमुंबई| बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिलाओं को हाजी अली दरगाह के प्रतिबंधित मजार क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे दी। यह दरगाह मुंबई के वरली तट के निकट एक छोटे से टापू पर स्थित है। इसमें सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार है जिनके प्रति विभिन्न समुदायों के लोग श्रद्धा रखते हैं।

एक गैर सरकारी संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन तथा महिला कार्यकर्ता नूरजहां नियाज और जाकिया सोमन ने दरगाह के अंदरूनी हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक के खिलाफ अदालत में नवम्बर 2014 को एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला दिया।

न्यायमूर्ति वी. एम. कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-धेरेकी खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। इस जनहित याचिका में 1431 में निर्मित इस दरगाह के मजार क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश को रोक लगाने वाले हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

दरगाह के इस हिस्से में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के साथ-साथ अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है। अदालत ने महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों के खिलाफ बताया। अदालत ने इस फैसल को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने के लिए इस पर छह सप्ताह के लिए रोक लगा दी है।

हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के प्रवक्ता ने कहा कि फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) ने भी फैसले का विरोध किया है। ट्रस्ट ने जून 2012 में महिलाओं के प्रवेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इस्लाम में महिलाओं को पुरुष संतों की कब्रों को छूने की अनुमति नहीं है और उनके लिए कब्र वाले स्थान पर जाना पाप है।

एक संगठन ‘हाजी अली फॉर ऑल’ ने गैर सरकारी संगठन भूमाता ब्रिगेड सहित कुछ समाजिक और महिलाओं के समूह के साथ 28 अप्रैल को दरगाह में प्रवेश की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें पुलिस द्वारा रोक लिया गया था।  इसके बाद 12 मई को भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई कुछ समर्थकों और पुलिस के एक दल के साथ दरगाह पहुंचीं। उनके साथ श्रद्धालुओं का एक समूह भी था।

देसाई ने प्रचलित रीति-रिवाजों का पालन किया और मजार क्षेत्र के बाहर (मजार से महज चार फीट दूर) से प्रार्थना की। उस दौरान, दरगाह के संरक्षकों ने कहा कि महिलाओं का पीर हाजी अली शाह बुखारी की कब्र को छूना निषेध है और इस्लाम के विरुद्ध है। देसाई को बाद में अहमदनगर में शनि शिगणापुर तथा नासिक में ˜यम्बकेश्वर मंदिर में प्रवेश की कोशिश पर भी काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इन मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश निषेध था।

उच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में देसाई ने कहा, “मैं अदालत के आज के (शुक्रवार के) ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करती हूं। हमारा आंदोलन सफल रहा और अदालत ने महिलाओं अधिकारों और समानता को महत्व दे दिया है। हम जल्द ही हाजी अली दरगाह जाएंगे।” हाजी अली उज्बेकिस्तान के बुखारा प्रान्त से सारी दुनिया का भ्रमण करते हुए भारत पहुंचे थे।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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