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बिजनेस

फंसे कर्जो के समाधान के मौजूदा तंत्र पर विचार जारी : जेटली

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मुंबई, 19 अगस्त (आईएएनएस)| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि पुराने कानून कॉरपोटेट जगत में दिवाला और दिवालियापन की समस्या से निपटने में आंशिक रूप से प्रभावी हैं, इसलिए अभी इस मुद्दे से निपटने के लिए वर्तमान तंत्र के प्रभावशीलता को आंकना होगा। जेटली ने कहा, इससे पहले, यदि कंपनियां दिवालिया होना चाहती थीं तो उनके मामले अनिश्चित काल के लिए अदालतों में फंस जाते थे। एसआईसीए ने देनदारों के खिलाफ केवल ‘लोहे का परदा’ प्रदान किया था, अन्यथा यह एक पूर्ण विफलता थी और जिस उद्देश्य के लिए इसका गठन किया गया था, उसका बहुत कम उद्देश्य ही हासिल किया जा सका।

ऋण रिकवरी ट्राइब्यूनल (डीआरटी) कुछ हद तक तेज था, लेकिन अनुमानित रूप से प्रभावी नहीं था, जबकि सिक इंडस्ट्रियल कंपनीज एक्ट (एसआईसीए) विफल रहा था और वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम (एसएआरएफईएसआई) के लागू करने से केवल सीमित उद्देश्य ही पूरा हुआ।

इस मुद्दे को फिलहाल दिवालिया और दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) देख रही है।

वित्त मंत्री ने कहा कि दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 द्वारा शुरुआती नौ महीनों के दौरान प्राप्त किए गए अनुभवों और सामने आई चुनौतियों पर भी चर्चा की जाएगी जिन्हें दूर करने की जरूरत है।

जेटली ने दिवालियापन और दिवालियापन पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘दिवाला और दिवालियापन : बदलता प्रतिमान’ में यह बातें कही, जिसका आयोजन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए), नेशनल फाउंडेशन फॉर कॉरपोरेट गवर्नेस (एनएफसीजी) और भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 (‘कोड’) सरकार का एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार है, जो दिवालियेपन से जुड़ी समस्या के हल के लिए आवश्यक एकीकृत कानूनी ढांचा प्रदान करती है और इसके साथ ही कंपनियों को इससे तेजी से एवं कुशलतापूर्वक बाहर निकलने की रूपरेखा मुहैया कराती है। इस संहिता का उद्देश्य अपनी समयबद्ध प्रक्रियाओं के जरिए दिवालियापन प्रक्रिया के बारे में और अधिक निश्चितता प्रदान करना एवं भारतीय वैधानिक व्यवस्था को दुनिया के कानूनी तौर पर कुछ सर्वाधिक उन्नत अधिकार क्षेत्रों के समतुल्य करना है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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