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उत्तर प्रदेश

बृजलाल खाबरी उप्र कांग्रेस के नए चीफ, छह प्रांतीय अध्यक्ष का फार्मूला लागू

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बृजलाल खाबरी

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लखनऊ। कांग्रेस पार्टी ने अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने से पहले ही उप्र कांग्रेस कमेटी को नया अध्यक्ष दे दिया है। बसपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले बृजलाल खाबरी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने जालौन से लोकसभा सदस्य रहे इटावा निवासी दलित नेता बृजलाल खाबरी को उप्र कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। अजय कुमार लल्लू के मार्च में प्रदेश अध्यक्ष पद छोडऩे के बाद से छह महीने से खाली पद पर बुंदेलखंड के नेता को आसीन किया गया है। उनके साथ ही पार्टी ने छह प्रांतीय अध्यक्ष भी बनाए हैं।

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छह प्रांतीय अध्यक्ष का फार्मूला

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव तथा सांसद केसी वेणुगोपाल ने खाबरी का नाम घोषित किया। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही छह प्रांतीय अध्यक्ष के फार्मूला पर भी काम किया है।

बसपा से आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी, वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़े अजय राय तथा बसपा से कांग्रेस में आने वाले नकुल दुबे को भी प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया है। इनके साथ वीरेन्द्र चौधरी, योगेश दीक्षित तथा इटावा के अनिल यादव को भी प्रांतीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली है।

विधानसभा चुनाव में चुनाव हार गए थे खाबरी

पार्टी के बिहार प्रभारी रहे बृजलाल खाबरी को बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ललितपुर की महरौनी सीट से मैदान में उतारा था। उनकी पत्नी उर्मिला देवी सोनकर खाबरी ने भी जालौन के उरई विधानसभा सीट पर ताल ठोंकी थी। दोनों लोग चुनाव हार गए और जमानत जब्त हो गई थी। खाबरी 4,334 वोट के साथ महरौनी सीट पर चौथे स्थान पर रहे, वहीं उनकी पत्नी 4,650 मत के साथ उरई सीट पर चौथे स्थान पर रहीं।

कौन हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष बृजलाल खाबरी?

बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में एक तहसील है-कोंच। कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गाँव के रहने वाले हैं बृजलाल। बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। बात 1977 की है। खाबरी गाँव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था।

एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा। तब 9 वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ने ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुँच गये। दरोग़ा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया। यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये। रोज़ाना थाने- कचहरी में खाबरी लड़ते- भिड़ते दिखने लगे।

छात्र राजनीति में लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी

जालौन के डीएवी पीजी कालेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे। छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे। दो बार चुनाव लड़े लेकिन कुछ वोटों से हार गए।

‘दलित मिशन’ के लिए छोड़ दिया घर बार

इलाक़े के लोग बताते हैं कि कांशीराम कैडर देने एक बार उरई आए थे। कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण। बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था। बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर-बार छोड़ दिया। 1999 के लोकसभा चुनाव में खाबरी जालौन से सांसद चुने गये। अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया।

खाबरी ने एक संगठनकर्ता के तौर पर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो। गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है। कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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