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प्रादेशिक

मैगी पर प्रतिबंध से हिमाचल पर्यटन प्रभावित

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मनाली | हिमाचल के पहाड़ों पर टेढ़ी-मेढ़ी सर्पीली सड़कों के किनारे ढाबों से मैगी गायब हो गई है और इसके साथ गायब हो गया है ढाबा संचालकों के कारोबार का एक बड़ा हिस्सा। कुंजुम दर्रे में सड़क किनारे ढाबा चलाने वाले पवन ठाकुर ने फोन पर कहा कि नूडल का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, “इस इलाके में भारी ठंड पड़ने के कारण सब्जियां नहीं उगाई जा सकती हैं और इसे आसपास के इलाके से मंगवाया भी नहीं जा सकता है। इसलिए नूडल एक मात्र विकल्प है। इस पर प्रतिबंध लगने के बाद कारोबार काफी मंदा पड़ गया है।”

उन्होंने कहा कि इस इलाके में मैगी को छोड़ कर दूसरा नूडल भी नहीं मिलता है। रोक लगने से पहले वह रोजाना पर्यटकों को 100-150 पैकेट मैगी खिलाते थे। अब वह किसी दूसरे कारोबार की तलाश कर रहे हैं। नूडल परोसने वाली दुकानें या तो बंद हो रही हैं या उनका कारोबार काफी मंदा पड़ गया है। पर्यटकों के लिए भी मैगी सबसे अच्छा विकल्प था, क्योंकि दूसरा कोई उपाय सरल नहीं था। मनाली के पर्यटक एजेंट एम.सी. ठाकुर ने कहा कि पर्यटकों के लिए यह बेहतरीन विकल्प था, क्योंकि यह तुरंत तैयार हो सकता था। उन्होंने कहा, “अब हम मैक्रोनी और पास्ता जैसे विकल्प अपनाने की सोच रहे हैं, लेकिन वे महंगे हैं और छोटे कस्बों में आसानी से नहीं मिलते।” चण्डीगढ़ के पर्यटक रमनदीप बाजवा ने गुजरे दिन याद करते हुए कहा कि मनाली-लेह राजमार्ग पर यात्रा के दौरान चाय की दुकानें एक अच्छा विकल्प हैं। यह मार्ग बर्फबारी के कारण साल में छह महीने बंद रहता है।

475 किलोमीटर के इस पूरे मार्ग पर जगह-जगह चाय की दुकानें देखी जा सकती हैं, जहां पर्यटकों के लिए मैगी और चाय के सिवा कोई और विकल्प उपलब्ध नहीं होता था। बाजवा ने कहा, “अब अधिकतर चाय की दुकानें या तो बंद हो चुकी हैं, या बंद होने की कगार पर हैं, क्योंकि वे चाय के साथ मैगी के अलावा कुछ और नहीं परोस सकती हैं।” बाजवा कुछ ही देर पहले लेह से इस रमणीय पर्यटक रिसॉर्ट पहुंचे थे। मनाली आने के लिए अगस्त से सितंबर का महीना सबसे अच्छा होता है। दिल्ली से दोस्तों के साथ यहां पहुंचे अभिषेक मल्होत्रा ने कहा, “ये दिल अभी भी मांगे मोर मैगी।” उन्होंने कहा कि मैगी न रखकर उन्होंने पराठे साथ ले लिए हैं।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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