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खेल-कूद

एचआईएल से बदली है भारतीय हॉकी की तस्वीर : सरदार

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एचआईएल से बदली है भारतीय हॉकी की तस्वीर, राष्ट्रीय हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह उर्फ सरदारा सिंह, क्रिकेट की छवि ने हॉकी पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला

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मोनिका चौहान

नई दिल्ली| बचपन में पढ़ा था कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है लेकिन जैसे-जैसे इसकी वास्तविकता से परिचय हुआ, तो समझ में आया कि अपने देश में यह खेल केवल किताबों में ही अपने गौरवमयी इतिहास को बरकरार रख पाया है। आज के युवाओं की जुबान पर विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी और सचिन जैसे क्रिकेट खिलाड़ियों का नाम है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्हें राष्ट्रीय हॉकी टीम के किसी खिलाड़ी के बारे में कुछ जानकारी हो। क्रिकेट की छवि ने हॉकी पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला और इसका भुगतान हॉकी के खिलाड़ियों को भी करना पड़ा, लेकिन हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) जब से शुरू हुआ है, इससे खेल को काफी फायदा हुआ है। वर्तमान में एचआईएल के चौथे संस्करण की शुरुआत से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में इस लीग में हिस्सा लेने वाली सभी टीमों के कप्तानों के साथ बातचीत हुई।

इस सम्मेलन में आए जेपी पंजाब वारियर्स और भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह उर्फ सरदारा सिंह के साथ हुए साक्षात्कार में यह बात समझ में आई कि हॉकी के स्तर में भी विकास हो रहा है और आज इन खिलाड़ियों को भी पहचान मिल रही है। आईएएनएस ने सरदार से जब एक साक्षात्कार में पूछा कि एचआईएल से पहले और बाद में हॉकी के स्तर में किस तरह का बदलाव आया है, तो उन्होंने कहा, “सकारात्मक बदलाव हुआ है। एचआईएल के बाद अगर आप हमारी राष्ट्रीय टीम पर नजर डालें, तो सभी खिलाड़ियों को लोग जानने लगे हैं। एचआईएल के परिणाम भारतीय हॉकी के स्तर के लिए काफी सकारात्मक रहे हैं। यूट्यूब पर भी देखा जाए, तो प्रशंसकों की संख्या भी काफी बढ़ी है।” एचआईएल के बाद हॉकी की लोकप्रियता बढ़ने से खिलाड़ियों को भी आर्थिक तौर पर और खेल सुविधाओं के रूप में काफी मदद मिली है।

सरदार से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “इस तरह की लीग को भविष्य में भी जारी रखना चाहिए, क्योंकि इससे आर्थिक फायदे हो रहे हैं, जो खिलाड़ी अपने आप को फिट रख रहे हैं। इससे खिलाड़ियों में आगे बढ़ने के विश्वास और देश के लिए अधिक पदक जीतने के जज्बे को बढ़ावा मिला है।” विश्व हॉकी दिग्गजों में शामिल सरदार से जब रियो ओलंपिक में भारत की रणनीति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “फिलहाल, हमने रियो ओलंपिक में क्वालीफाई करने के बाद थोड़ा ब्रेक लिया और अब हम एचआईएल में हिस्सा ले रहे हैं। इसके बाद, जो हमारे कोच और अध्यक्ष रणनीति बनाएंगे, उसके मुताबिक हम आगे बढ़ेंगे।” आईएएनएस ने जब सरदार से पूछा कि एचआईएल का अनुभव ओलंपिक में किस तरह मदद करेगा, तो उन्होंने कहा, “इससे काफी मदद मिलेगी, क्योंकि इन्ही खिलाड़ियों के खिलाफ हमें खेलना है और यह हमारे लिए यह काफी अच्छी बात है कि ओलंपिक से पहले हमारे लिए अभ्यास स्वरूप टूर्नामेंट मिल रहा है।”

इस लीग में खेलने के दौरान हम विदेशी खिलाड़ियों के खिलाफ और साथ खेलने वाले भारतीय खिलाड़ियों के स्तर का अध्ययन करना चाहिए और हम अपनी कमियों में भी सुधार कर सकते हैं। आज की युवा पीढ़ी भी हॉकी को एक करियर के तौर शामिल करने के लिए आगे बढ़ रही है। इस बारे में सरदार ने कहा, “इस लीग के बाद जो परिणाम आ रहे हैं, मैं कहूंगा कि हॉकी के प्रति युवा पीढ़ी के विचार सकारात्मक हुए हैं। पहले अधिकतर लोग क्रिकेट में हिस्सा लेने की कोशिश करते थे, लेकिन अब लोग हॉकी में शामिल होने के प्रति रुचि दिखा रहे हैं, जो कि बहुत अच्छी बात है।” उल्लेखनीय है कि ओलंपिक में आठ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीत चुकी भारतीय टीम की पहचान धुंधली पड़ने लगी थी, लेकिन एचआईएल ने कहीं न कहीं इस पहचान को बढ़ाने में एक मुख्य भूमिका निभाई है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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