उत्तराखंड
अवैध खनन मामले में वरिष्ठ जेल अधीक्षक पर एफआईआर
लगभग पांच करोड़ के राजस्व का नुकसान
देहरादून। दो साल पहले सितारगंज ओपन जेल की नदी से लगी भूमि पर अवैध खनन कराने के आरोप में तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक संजीव कुमार शुक्ला के खिलाफ विभागीय कार्रवाई और एफआईआर की कार्रवाई होगी।
जांच की रिपोर्ट आने के बाद अब प्रमुख सचिव गृह ने उनके विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई की सिफारिश की है। जांच में करीब पांच करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात सामने आई है।
नैनीताल स्थित संपूर्णानंद शिविर जेल केंद्रीय कारागार (सितारगंज ओपन जेल) का एरिया करीब छह सौ एकड़ है। इसमें काफी क्षेत्रफल नदी के किनारे है और कुछ भूमि पर नदी बहती है।
वर्ष 2014 में जेल में तैनात वरिष्ठ अधीक्षक संजीव कुमार शुक्ला के विरुद्ध अवैध खनन करवाने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से शिकायत की गई थी।
शिकायत की जांच तत्कालीन जिलाधिकारी बृजेश संत को दी गई। उन्होंने जांच करवाई तो आरोप सही निकले। इस पर तत्कालीन कमिश्नर हेमलता ढौंडियाल ने भी अपनी मुहर लगाते हुए जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी।
शासन ने कार्रवाई करते हुए संजीव कुमार शुक्ला को देहरादून कार्यालय में अटैच कर दिया। लेकिन शुक्ला ने इस कार्रवाई को अवैध करार देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने शासन को हाईलेवल इनक्वायरी करवाकर आठ सप्ताह में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।
इस पर तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह ओम प्रकाश और प्रमुख सचिव खनन राकेश शर्मा की कमेटी बनाकर जांच करवाई गई तो आरोप सही पाए गए।
इस पर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए शुक्ला के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए। अब उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करते हुए प्रमुख सचिव गृह उमाकांत पवांर ने जेल मंत्री प्रीतम सिंह को फाइल भेजी है। इसमें आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भी कहा गया है।
प्रमुख सचिव (गृह) उमाकांत पंवार ने कहा कि तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक संजीव कुमार शुक्ला के विरुद्ध अवैध खनन के आरोप पुष्ट हो गए हैं।
यह भी सत्य है कि उनके कृत्य से करीब पांच करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई है। यह देखते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के अलावा विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है। जल्द ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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