उपर्युक्त दोनों स्थलों में राधा नाम का स्पष्ट उल्लेख है। एक बात प्रमुख रूप से विचारणीय है कि श्रीकृष्ण की भांति श्री राधा जी के भी...
अर्थात् मैं केवल राधा तत्व की ही आराधना करता हूँ। अन्यान्य पुराणों में भी श्री राधा तत्व का निरूपण है। यथा- पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण, देवी-भागवत पुराण, आदिपुराण,...
केवल ऋग्वेद में ही राधा शब्द का प्रयोग सातों विभक्तियों में हुआ है। यथा- राधः (ऋग्वेद 1-9-5) राधांसि (ऋग्वेद 1-22-8) राधसा (ऋग्वेद 1-48-14) राधसे (ऋग्वेद 1-17-7)...
तात्पर्य यह कि अनन्त ब्रह्माण्डात्मक विश्व प्रपंच एवं ब्रह्मादि ब्रह्माण्डनायकों के परमाराध्य परब्रह्म श्रीकृष्ण भी श्री राधा तत्व की निरन्तर आराधना करते हैं। अतः राधा तत्व...
अद्वितीय इक तत्व है, राधा तत्व प्रधान। याको दूजो रूप है, स्वयं कृष्ण भगवान।।1।। भावार्थ- श्री वृषभानुनन्दिनी राधिकाजी ही एकमात्र सर्वश्रेष्ठ तत्त्व हैं। उन्हीं का अपर...
जो बड़े समझदार ज्ञानी होते हैं, असली ज्ञानी वो ‘तृणोपमम् ‘ तृण के समान छोड़ देते हैं, मोक्ष को। अरे वेद कह रहा है- न परिलषन्ति...
जहाँ ये भावना मिट जाय कि मैं दास वो स्वामी सब खतम। ऐसी मुक्ति को मैं नहीं चाहता। भगवान् शंकर ने कहा- स्वर्गापवर्गनरकेष्वपि तुल्यार्थदर्शिनः। (भाग. 6-17-28)...
तो कामनायें दोनों-मायिक, अमायिक, कामना हैं। इसलिये भक्ति मार्ग वाले कहते हैं, दोनों को छोड़ो। भागवत का दूसरा श्लोक है- धर्मः प्रोज्झितकैतवोऽत्र परमो निर्मत्सराणां सताम् ।...
तो इस प्रकार, भक्ति में सबसे प्रमुख बात कि कामना इधर की भी उधर की भी दोनों गलत हैं। ये चार पुरुषार्थ कहे गये हैं जो...
नारद जी ने अपने भक्ति सूत्र में लिखा कि भक्ति का फल- भक्ति। शंकराचार्य ने भी माना- एवं कुर्वति भक्तिं कृष्णकथानुग्रहोत्पन् ना। समुदेति सूक्ष्मभक्तिर्यया हरिरन्तराविशति।। (शंकराचार्य)...