उत्तराखंड
कांग्रेस की यात्रा पर सवाल
कांग्रेस की सतत विकास संकल्प यात्रा को लेकर जहां कांग्रेस उत्साहित है कि कांग्रेस की इस यात्रा में भारी भीड़ जुट रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के द्वारा राजपुर विधान सभा अयोजित की गई इस रैली को लेकर सवाल उठने लगे है। सवाल इस बात को लेकर उठ रहे है कि कांग्रेस ने इस यात्रा के माध्यम से दो काम निपटाने की कोशिश की है। राजुपर विधायक राजकुमार ने सतत विकास संकल्प यात्रा के साथ ही मलिन बस्तियों के मालिकाना हक दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत का भी इस यात्रा में आभार व्यक्त किया। पहले कार्यक्रम बनाया गया था कि राजपुर विधान के लोग मालिकाना हक दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत का अभार वयक्त करेंगे लेकिन बाद में कार्यक्रम को बदलकर सतत विकास संकल्प कर दिया गया। जिससे कार्यक्रम में पहुंचे लोग भी भ्रम की स्थिति में थे कि वो कौन से कार्यक्रम में आए हुए है,कार्यक्रम में पहुंचे लोग को तो जब कार्यक्रम में बदलाव भी कर लिया गया तब भी कार्यक्रम का नाम याद नहीं हो पाया। वहीं राजपुर विधान सभा की इस यात्रा में जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सम्बोधित कर रहे थे कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे लोग प्रदेश अध्यक्ष को सुनने की बजाय खाने की ओर भाग गए तस्वीरों के माध्यम से आप देख सकते है कि आखिर कार्यक्रम का नजारा क्या था।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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