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सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया जाटों को आरक्षण

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत जाटों को भी आरक्षण देने की घोषणा की गई थी। संप्रग सरकार ने लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले चार मार्च, 2014 को यह अधिसूचना जारी की थी, जिसके तहत नौ राज्यों में जाटों को भी ओबीसी के तहत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। तत्कालीन संप्रग सकार ने इस मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा की अनदेखी करते हुए इसके उलट यह अधिसूचना जारी की थी।

कोर्ट ने हालांकि, मंगलवार को संप्रग सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तथा न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन ने कहा कि हम इससे सहमत नहीं हो सकते कि राजनीतिक दृष्टि से संगठित जाट पिछड़ा वर्ग में आते हैं और इसलिए इसके तहत आरक्षण के हकदार हैं। न्यायमूर्ति गोगोई ने आदेश पारित करते हुए कहा कि जाट जैसे राजनीतिक रूप से संगठित वर्ग को आरक्षण के हकदारों की श्रेणी में शामिल करने की पुष्टि नहीं की जा सकती।

तृतीय लिंग को पिछड़ा वर्ग के रूप में शामिल करने का जिक्र करते हुए न्यायालय ने कहा, “सिर्फ जाति ही आरक्षण का आधार नहीं हो सकता। हमें समसामयिक मानदंडों की ओर बढ़ना होगा।” न्यायालय का मंगलवार का आदेश जाटों को ओबीसी में शामिल करने के पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि चार मार्च की अधिसूचना का उद्देश्य लोकसभा चुनाव में लाभ लेना और इस समुदाय का वोट हासिल करना था।

चुनाव बाद सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने भी हालांकि न्यायालय में पूर्ववर्ती सरकार के फैसले का समर्थन किया और कहा कि यह चुनावी फायदे की सोच से नहीं, बल्कि सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार ने कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा कि केंद्र सरकार ने जनहित में काम किया। हलफनामे में अधिसूचना को चुनौती देने वाली ओबीसी रिवजर्वेशन रक्षा समिति और अन्य की याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया गया है। इसमें कहा गया है, “राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के परामर्श को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसलिए खारिज कर दिया, क्योंकि इसने जमीनी हकीकत का ठीक से आकलन नहीं किया।”

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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