मुख्य समाचार
डिजिटल इंडिया से होगी नए युग की शुरूआत
भारत सरकार द्वारा आज एक और महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया की शुरूआत कर दी गई इसका कार्यक्रम पूरे हफ्ते चलेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत में एक ऐसे युग की शुरूआत होने वाली है जिसमें हम भ्रष्टाचार मुक्त समाज की परिकल्पना कर सकते हैं।
भारत में कुछ समय पहले तक हम जिन बातों की कल्पना भी नहीं कर सकते थे आज वह वास्तविकता के धरातल पर नज़र आती हैं। कौन सोच सकता था कि इस देश का प्रधानमंत्री हाथ में झाड़ू उठाकर सफाई भी कर सकता है। हमने तो ऐसे प्रधानमंत्रियों के बारे में देखा और सुना है जिनके कपड़े भी विदेश से धुलकर आते थे लेकिन आज बात आलोचनाओं की नहीं बल्कि डिजिटल इंडिया के माध्यम से सपनों को साकार करने की।
डिजिटल इंडिया के तहत हमें बहुत सी ऐसी सुविधाएं मिल सकती हैं जिनको पाने के लिए भारत की आम जनता मारी-मारी फिरती है जैसे हेल्थकेयर, ई-बस्ता, ई-लॉकर, ई-बिजनेस, किसानों के उत्पादों के लिए नजदीकी बाजार और सही मूल्य, गांवों को इंटरनेट से जोड़ना, कई शहरों में वाई-फाई सुविधा की शुरूआत और इन जैसी तमाम सुविधाएं भारत के आम नागरिकों को मिलने वाली हैं।
इन सबसे ऊपर मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया के अंतर्गत अपनी पूरी सरकार को लाकर पारदर्शिता की एक मिसाल कायम की है। एम-गर्वनेंस उसकी शुरूआत है। इस मौके पर देश के चोटी के उद्योगपतियों द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में 4.5लाख करोड़ रूपये के निवेश की घोषणा जिससे करीब 18लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, की भी सराहना की जानी चाहिए। हालांकि इससे हमारे कम्युनिस्ट मित्रों को इससे जरूर निराशा हुई होगी।
पीएम मोदी ने जब अपने चुनावी अभियान की शुरुआत 2013 में की थी तो उनका मुख्य नारा था सबका साथ सबका विकास। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार उस दिशा में सधे हुए कदम बढ़ा रही है। आलोचनाओं और कुछ रूकावटों को दरकिनार कर दें तो पीएम मोदी द्वारा लांच कोई भी योजना किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं है। सभी योजनओं में उन्होंने भारत की 125 करोड़ जनता का साथ मांगा है और यह साथ मिलने के वह हकदार भी हैं।
डिजिटल इंडिया ने भारत के लिए अवसरों का एक नया द्वार खोला है कार्यक्रम में विदेशी उद्योगपतियों की उपस्थिति और उनके द्वारा निवेश की घोषणा एक सुखद भविष्य का संकेत है। एक समय था जब भारतीय रोजी-रोटी कमाने विदेश जाया करता था, आज भी जाता है लेकिन आज विदेशी भी भारत में अपनी रोजी-रोटी कमाने आता है। कारण, कि भारत 125 करोड़ आबादी और जिसमें 65 प्रतिशत युवा आबादी है, का देश है, जहां सस्ते श्रम और कम लागत में उत्पादन कर पैसा कमाया जा सकता है। भारतीय और विदेशी निवेशकों की यही सोच देश के प्रगति का पथ प्रशस्त करेगी। भारत विश्वगुरू बनकर रहेगा, इंशा-अल्लाह।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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