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न्यायाधीशों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका बड़ी पीठ के हवाले

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सर्वोच्च न्यायालय, जज-नियुक्ति-आयोग, एनजेएसी,

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नई दिल्ली। ऊंची अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन और इसके लिए संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में होगी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर तथा न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की पीठ ने मंगलवार को आयोग की वैधता और संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे बड़ी पीठ के पास स्थानांतरित कर दिया।

पीठ ने कहा कि चूंकि उन्होंने यह मामला बड़ी पीठ के हवाले कर दिया है, इसलिए इसमें अंतरिम राहत का फैसला भी उसी पीठ द्वारा लिया जाएगा। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ने चुनौती दी है। इस संबंध में दो याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं चयन को लेकर न्यायपालिका की स्वतंत्रता का हनन है। उनका यह भी कहना है कि यह अधिनियम अगस्त 2014 में पारित नहीं किया जा सका, क्योंकि संविधान में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं था। यह 31 दिसंबर के बाद लागू हुआ, जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संविधान संशोधन के लिए सहमति जताई।

दूसरी ओर, सरकार ने याचिकाओं के औचित्य पर सवाल खड़े करते हुए इन्हें अपरिपक्व तथा अकादमिक करार दिया और कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन के संबंध में अब तक न तो संवैधानिक प्रावधानों को अधिसूचित किया गया है और न ही यह अमल में लाया गया है। सरकार ने दलील दी थी कि जब तक आयोग का कामकाज शुरू नहीं हो जाता और किसी के अधिकार प्रभावित नहीं होते, उनकी वैधानिकता को चुनौती देने का कोई कारण नहीं बनता।

उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन, गैर सरकार संगठन चेंज इंडिया, सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन, बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा अन्य ने चुनौती दी थी। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के जरिए उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की निुयक्ति का समर्थन किया है।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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