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बिजनेस

ईरान संग आर्थिक संबंध बढ़ाना चहता है भारत : सुषमा

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नई दिल्ली| विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को ईरान को भारत का महत्वपूर्ण साझेदार बताया और ऊर्जा, अवसंरचना, व्यापार तथा वाणिज्य में द्विपक्षीय आर्थिक संबंध बढ़ाने की जरूरत बताई। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, यहां ईरान के आर्थिक और वित्त मंत्री अली तैयबनिया के साथ भारत-ईरान संयुक्त आयोग (जेसीएम) की 18वीं बैठक की सह-अध्यक्षता करते हुए सुषमा ने ऊर्जा, अवंसरचना (जहाजरानी, बंदरगाह और रेलवे सहित) और व्यापार तथा वाणिज्य में द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशों का जिक्र किया।

बयान के मुताबिक, “उन्होंने कहा कि चाबाहार बंदरगाह के विकास में भारतीय योगदान से अफगानिस्तान और मध्य एशिया भारत से जुड़ जाएंगे।”

बयान में कहा गया है, “ईरानी पक्ष ने चाबाहार बंदरगाह और चाबाहार मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफटीजेड) के विकास में तथा एफटीजेड में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना में भारत के सार्वजनिक और निजी झेत्र की भागीदारी का सुझाव दिया।”

बयान के मुताबिक, “दोनों मंत्रियों ने व्यापार और आर्थिक सहयोग की प्रगति तथा अन्य संबंधित मामलों का जायजा लिया और रेलवे में सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया।”

इस बैठक से पहले सोमवार को तैयबनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में मोदी ने ईरान के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की भारत की इच्छा से उन्हें अवगत कराया।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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