उत्तराखंड
चारधाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत
एक वाहन को ग्रीन कार्ड जारी
ऋषिकेश। परिवहन विभाग ने आज ऋषिकेष से चारधाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत कर दी है। यात्रा निर्विघ्न हो इसके लिए पौराणिक भद्रकाली में पूजा अर्चना की गई। इसके साथ ही चारधाम यात्रा में संचालित वाहनों को ग्रीन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले दिन तकनीकी जांच के बाद एक वाहन को ग्रीन कार्ड जारी किया गया। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी डॉ. अनीता चमोला की अगुवाई में विभागीय कर्मी भद्रकाली तिराहा स्थित भद्रकाली मंदिर पहुंचे और विधि विधान से पूजा अर्चना की। नारियल फोड़कर चारधाम यात्रा को दुर्घटनामुक्त रखने और यात्रा के सफल संचालन की कामना की। हरिद्वार बाईपास मार्ग स्थित एआरटीओ कार्यालय में चारधाम यात्रा में संचालित होने वाले वाहनों के ग्रीन कार्ड बनाने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया गया।
एक मई से खुलेंगे चैक पोस्ट
सहायक संभागीय निरीक्षक प्राविधिक अरविंद यादव ने यात्रा में संचालित वाहन का तकनीकी परीक्षण किया। संपूर्ण जांच के बाद वाहन ओके होने पर वाहन मालिक रमेश चंद तिवारी को ग्रीन कार्ड जारी किया गया। ग्रीनकार्ड के मानकों के तहत: वाहन में आगे के दोनों टायर नए होने चाहिए; वाहन के वाइपर ठीक से काम करते हों; वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था हो; एलायमेंट, इंजन की स्थिति मानकों के अनुरूप हो; इंश्योरेंस और रजिस्ट्रेशन ओके होना चाहिए। सहायक परिवहन अधिकारी डॉ. अनीता चमोला ने बताया कि यात्रा में संचालित स्थानीय वाहनों का ग्रीन कार्ड दो महीने के लिए और बाहरी वाहनों के ग्रीन कार्ड के लिए 15 दिन वैद्य होंगे। वैद्यता समाप्त होने पर चेक पोस्ट पर प्रवेश पत्र की प्रति दिखाने के बाद ही ग्रीन कार्ड का नवीनीकरण होगा। ग्रीन कार्ड के निर्धारित शुल्क हेतु भारी वाहन 400 रुपये, मीडियम वाहन 300 रुपये तथा हल्के वाहन 200 रुपये निर्धारित किया गया है। वाहनों की जांच के लिए तीर्थनगरी गंगोत्री हाईवे पर भद्रकाली में और बदरीनाथ हाईवे पर तपोवन में दो चेक पोस्ट खोले जाएंगे। यहां प्रवर्तन दल की तैनाती होगी, जो वाहनों की सघन जांच करेंगे। इन चोक पोस्टों मे एक मई से कार्य शुरू हो जाएगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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