बिजनेस
आरबीआई ने अटकलों पर लगाया विराम, यथावत रखी प्रमुख दरें
मुंबई। देश के केंद्रीय बैंक ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है। शीर्ष बैंक ने मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चिताओं को देखते हुए यह फैसला किया है। वहीं, निवेशकों ने आरबीआई के ब्याज दरों को यथावत रखने के फैसले से निराशा जताई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2016-17 की छठी और अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर या वाणिज्यिक बैंकों के लिए अल्पकालिक उधारी दर को 6.25 फीसदी पर यथावत रखा है।
वहीं, रिवर्स रेपो दर में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 5.75 फीसदी पर बनी रहेगी।
आरबीआई के मुताबिक एमपीसी समिति के सभी छह सदस्यों ने गर्वनर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति फैसले के पक्ष में मतदान किया। इस बैठक के मिनट्स 22 फरवरी को जारी किए जाएंगे।
आरबीआई ने अपनी छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा, “वर्तमान और उभरती व्यापक आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर आज की बैठक में एमपीसी ने तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर को 6.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।”
बयान में आगे कहा गया है, “इसके परिणामस्वरूप एलएएफ के तहत रिवर्स रेपो दर भी 5.75 फीसदी पर अपरिवर्तित है, तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 फीसदी है।”
इसमें कहा गया, “एमपीसी का फैसला मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख के अनुरूप है। इसको ध्यान में रखते हुए किया गया कि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) 5 फीसदी प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है, जबकि विकास दर का समर्थन करते हुए मध्यम अवधि का लक्ष्य इसे 4 फीसदी (2 फीसदी कम/ज्यादा) पर रखना है।”
आरबीआई की मौद्रिक नीति पर उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा, “आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती के लिए गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। उसने कहा है कि दरों में कटौती इस पर निर्भर करती है कि सरकार बैंकों के एनपीए की समस्या, उधारदाताओं के पुर्नपूंजीकरण, छोटी बजट का प्रबंधन किस तरीके से करती है।”
भारतीय स्टेट बैंक की गर्वनर अरुं धती भट्टाचार्य ने कहा, “घरेलू और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता को देखते हुए, आरबीआई ने ब्याज दरों को यथावत रखा है।”
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, “बैंकों ने पिछले महीने ही ब्याज दरों में कटौती की है। हालांकि, घरेलू निजी पूंजीगत खर्च के चक्र में बदलाव लाने के लिए एक अधिक निरंतर प्रयास की आवश्यकता होगी। ”
आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने कहा कि नोटबंदी के बाद से पुराने नोटों को बदलने के बाद बैंक ने अपने उधार दरों में ‘काफी’ कमी है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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