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एचडीएफसी ने बिहार में की आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी से साझेदारी

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एचडीएफसी, बिहार में की आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी से साझेदारी

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एचडीएफसी, बिहार में की आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी से साझेदारी

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पटना। एचडीएफसी बैंक ने छात्रों को तुरंत और आसानी से शुल्क भुगतान की सुविधा देने के लिए बिहार में आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया है। आज से इस विश्वविद्यालय से संबद्ध 60 से अधिक महाविद्यालयों के छात्र अपने घर पर ही आराम से परीक्षा शुल्क सहित 15 विभिन्न प्रकार के शुल्कों का तुरंत, सहज और समयबद्ध ढंग से भुगतान करने के लिए पेमेंट गेटवे का उपयोग कर सकेंगे।आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के साथ इस समझौते के तहत एचडीएफसी बैंक आरटीजीएसए एनईएफटी और इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर के लिए अपना इलेक्ट्रॉनिक नकदी प्रबंधन प्लेटफॉर्म उपलब्ध करायेगा।

इस सेवा का औपचारिक शुभारंभ डॉ. अजय प्रताप सिंह, कुलसचिव आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी और संदीप कुमार, जोनल प्रमुख बिहार, एचडीएफसी बैंक, मनोज कश्यप सीनियर वीपी, एचडीएफसी बैंक और अन्य वरिष्ठ बैंक अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया। आर्यभट्ट बिहार का एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय है, जो राज्य में चिकित्सा विज्ञान, अभियांत्रिकी, नर्सिंग और बी.एड महाविद्यालयों को संबद्धता प्रदान करता है। यह पहल भारत के संपूर्ण सेवाओं वाले अग्रणी डिजिटल बैंक की ओर से तकनीक का सहारा लेकर ग्राहकों की सहूलियतए पहुँच और खुशी पर ध्यान दिये जाने की रणनीति का हिस्सा है। इसी के तहत बैंक ने 2014 में ‘गो डिजिटल’ अभियान आरंभ कर ‘बैंक आप की मुट्ठी में’ की पेशकश करने के बाद से बहुत से नये डिजिटल बैंकिंग उत्पादों की शुरुआत की है।

इनमें बायोमीट्रिक तकनीक के उपयोग से 30 मिनट में कागज रहित ऑटो लोन, नेटबैंकिंग पर 10 सेकेंड में पर्सनल लोन, पेजैप, चिल्लर और हाल में पेश एटीएम पर तत्काल ऋण शामिल हैं। यह सब एचडीएफसी बैंक के दमदार नेटबैंकिंग पोर्टल और आधिकारिक मोबाइल ऐप्प के अतिरिक्त है। ग्राहकों को नेटबैंकिंग पोर्टल पर 205 और ऐप्प पर 85 अलग-अलग तरह के लेनदेन करने की सुविधा मिलती है। इन डिजिटल प्रयासों के अलावा एचडीएफसी बैंक अपने राष्ट्रीय वितरण नेटवर्क के माध्यम से भी लोगों तक पहुँच बना रहा है। बिहार राज्य में एचडीएफसी बैंक की 90 शाखाएँ और 250 एटीएम हैं। बैंक के राष्ट्रीय वितरण नेटवर्क में 31 मार्च 2015 तक 2,587 शहरों में 4,520 शाखाएँ और 12,000 एटीएम हैं।

 

 

 

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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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