Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

अब एसीबी दिल्ली में नियुक्ति को लेकर आप और जंग में खिंची तलवारें

Published

on

KejriwalNajeeb

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग की बीच चल रही तकरार में एक और अध्याय जुड़ गया है। आप सरकार ने अपनी एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) के लिए बिहार से छह पुलिस अधिकारी लेने का फैसला किया है। राज्यपाल नजीब जंग की ओर से इन नियुक्तियों पर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अफसरों की नियुक्ति का कोई प्रस्ताव नहीं मिला जबकि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए इस फैसले को उचित ठहराया है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, बिहार पुलिस के छह अधिकारियों की एसीबी में नियुक्ति की जा रही है, जिनमें एक पुलिस अधीक्षक, तीन पुलिस निरीक्षक और दो पुलिस उपनिरीक्षक शामिल हैं। रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि इन अधिकारियों को विशेष उत्तरदायित्व नहीं सौंपा गया है। यह भी सूचना है कि इनमें तीन अधिकारी दिल्ली में ज्वाइन भी कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि बिहार से पुलिस अधिकारियों को लेने के लिए दिल्ली में नीतीश कुमार और केजरीवाल के बीच हुई मुलाकात के वक्त सहमति बनी थी। सभी अफसरों की नियुक्ति उपराज्यपाल जंग को सूचित किये बगैर लिया गया है।

दिल्ली एसीबी का संचालन मेरे अधीन : जंग

इन नियुक्तियों को लेकर विरोध जताते हुए जंग ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली की भ्रष्टाचार-निवारक शाखा (एसीबी) का संचालन उनके अधिकार, नियंत्रण और पर्यवेक्षण के अधीन है। उपराज्यपाल के कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, “यह मामला आज के समाचारपत्रों में प्रकाशित खबर से संबधित है, जिसमें दिल्ली की भ्रष्टाचार-निवारक शाखा में बिहार के पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में लिखा गया है। पुलिस संस्था होने के नाते एसीबी का संचालन उपराज्यपाल के अधिकार, नियंत्रण और पर्यवेक्षण के अधीन है। उपराज्यपाल के पद को गृह मंत्रालय की ओर से 21 मई को जारी अधिसूचना संख्या 1368 (ई) में मान्यता दी गई है।” बयान में यह भी कहा गया कि दिल्ली के बाहर के पुलिस अधिकारियों की एसीबी में नियुक्ति को लेकर किसी तरह का प्रस्ताव उपराज्यपाल को अब तक नहीं मिला है।
बयान में कहा गया, “उपराज्यपाल के कार्यालय को अब तक दिल्ली से बाहर के पुलिस अधिकारियों की एसीबी में नियुक्ति को लेकर किसी तरह का प्रस्ताव प्राप्त नहीं हआ है। दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग की ओर से उपराज्यपाल को औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद मामले पर गौर किया जाएगा।”

पहले ही हल हो चुका एसीबी के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा : दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही एसीबी के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा हल कर दिया है। एसीबी पर कानून एकदम साफ़ है और हाईकोर्ट ने भी इसको सही ठहराया है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास पूरी ताकत है और केंद्र सरकार संविधान का मजाक न बनाए। पहले भी एसीबी में अफसर अलग-अलग जगहों से आते रहे हैं, आगे भी आते रहेंगे। इसमें दिक्कत क्या है।

नेशनल

हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

Published

on

Loading

सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

Continue Reading

Trending