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आक्रोशित भीड़ का अन्यायपूर्ण कृत्य

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बिहार के नालंदा जिले के एक निजी विद्यालय के निदेशक की गुस्साई भीड़ द्वारा पीट-पीट कर बेरहमी से की गई हत्या को सभ्य  समाज में कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता। घटना की पृष्ठभूमि में विद्यालय के छात्रावास के पास मिले दो छात्रों सागर कुमार और रवि कुमार के शव थे जिनकी मौत का जिम्मेदार स्कूल निदेशक को ठहराकर आक्रोशित भीड़ ने बड़ी बेरहमी से उनकी हत्या कर दी।

इस सारे मामले में दो बातों पर ध्यान देना वाजिब है पहली, दो छात्रों की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई, दूसरी छात्रों की मौत के घण्टों  बाद भी स्थानीय पुलिस मौके पर नहीं पहुंची जोकि बिहार में शुरू हो चुके जंगलराज का एक और उदाहरण है। छात्रों की मौत से गुस्सा‍ई भीड़ जब स्कूल में तोड़-फोड़ कर रही थी उस समय पुलिस पहुंची लेकिन पर्याप्त संख्या बल न होने के कारण खामोश रही। यहां तक कि निदेशक को जब भीड़ बुरी तरह से मारपीट रही थी तो भी पुलिस वालों ने खामोश रहना ही मुनासिब समझा।

इधर बीच यह बात लगातार देखने में आ रही है कि भीड़ अचानक हिंसक हो जाती है, अक्सर तो पुलिसवालों पर ही भीड़ की गाज गिरती है। यह अच्छी बात नहीं है। घटनाओं पर आक्रोश स्वाभाविक है लेकिन इस आक्रोश की परिणिति यदि कानून को अपने हाथ में लेने से होने लगी तब तो समाज में बदअमनी फैल जाएगी। कानून का राज होना ही चाहिए, किसी भी सूरत में किसी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।

वैसे इसका दोषी कहीं न कहीं हमारा प्रशासन व व्यवस्था है जो मामलों को तब तक पालता है जब तक वह नासूर नहीं बन जाता और नासूर जब फूटेगा तो उसमें से गंदगी ही बाहर निकलेगी। यदि समय रहते पुलिस और प्रशासन अपना दायित्व निभाए तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सकता है। यह देखा गया है कि गांवों में तमाम ऐसे मामले होते हैं जो थाने के स्तर से ही सुलझाए जा सकते हैं लेकिन पुलिस तबतक एक्शन नहीं लेती जब तक कोई अनहोनी न हो जाय।

बिहार की इस घटना या इस जैसी किसी भी घटना की जितनी निंदा की जाय वह कम है। पुलिस को चाहिए कि मीडिया की वीडियो फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों की सहायता से दोषियों की गिरफ्तारी कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करे ताकि कोई भी आक्रोशित भीड़ कानून अपने हाथ में लेने का दुस्साहस न कर सके।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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