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बिजनेस

एटीएम से लेकर खरीदारी तक काम आएगा ट्रांसकॉर्प प्रीपेड कार्ड

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नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)| ट्रांसकॉर्प इंटरनेशनल लिमिटेड ने एक ऐसा प्रीपेड कार्ड लॉन्च किया है जिसे एटीएम से लेकर खरीदारी तक के लिए उपयोग किया जा सकता है। जिनके पास बैंक खाता नहीं है, वे इसमें तनख्वाह ले सकते हैं। इतना ही नहीं यह वॉलेट के रूप में भी काम आएगा। विदेशी मुद्रा और आंतरिक भुगतान जैसे समाधान प्रदान करने वाली कंपनी ट्रांसकॉर्प ने इस कार्ड को देश के अग्रणी निजी बैंक ‘यस बैंक’ और एनपीसीआई के ‘रूपे’ के सहयोग से पेश किया है। कंपनी जल्द ही ‘ट्रांसकैश’ नाम से वॉलेट भी जारी करेगी।

गैर-केवाईसी के मामले में इसमें अधिकतम 10,000 रुपये और केवाईसी आधारित कार्डस में 1 लाख रुपये मासिक तक डाले जा सकते हैं। इसका इस्तेमाल देश भर में किसी भी एटीएम से नगद निकासी के लिए भी किया जा सकता है।

यह कार्ड देश भर में फैली कंपनी की सभी 40 शाखाओं और ट्रांसकॉर्प के 7,500 से भी ज्यादा फ्रैंचाइजी के पास उपलब्ध रहेगा। नई दिल्ली में पंजीकृत कार्यालय वाला ट्रांसकॉर्प हर साल 20 लाख से ज्यादा ग्राहकों को अपनी सेवाएं देता है।

ट्रांसकॉर्प इंटरनेशनल लिमिटेड के अध्यक्ष हेमंत कौल ने बताया, यह कार्ड एक लाख रुपये तक के सभी नगद लेनदेन (ट्रांजैक्शंस) का स्थान ले सकता है। इस्तेमाल में बेहद आसान होने के चलते यह कार्ड, धारक को जब चाहे-जहां चाहे प्रयोग करने की आजादी देता है। यहां तक कि इनका इस्तेमाल इंटरनेट पर भी किया जा सकता है।

कौल ने कहा, कार्ड धारक, कार्ड में मौजूद रकम को अपनी भुगतान संबंधी जरूरतों के मुताबिक नियंत्रित या सीमित भी कर सकता है। कॉरपोरेट, संस्थान और अन्य संगठन जिन्हें बार-बार अपने कर्मचारियों या लाभार्थियों को वेतन, मजदूरी, इंसेंटिव्स जैसे भुगतान करने पड़ते हैं, वे अब इसे आसानी से कर सकते हैं।

कम नगदी और नोटबंदी जैसी सरकार की दमदार पहल के साथ ही उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए ट्रांसकॉर्प ने यह प्लेटिनम प्रीपेड कार्ड लॉन्च किया है। यह नगदी में कमी लाने के सरकार के प्रयासों की दिशा में गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसके साथ ही यह डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देने में मददगार हो सकता है।

इस कार्ड में पहले से ही रकम डाली जा सकती है या फिर कार्ड धारक या इसे देने वाले एम्प्लॉयर (नियोक्ता-संगठन) द्वारा पैसे डालकर भरा जा सकता है। इसका इस्तेमाल देश भर में किसी भी एटीएम से नगद निकासी के लिए भी किया जा सकता है। कार्ड को उन सभी दुकानों, वेबसाइटों, सेवा प्रदाताओं के यहां आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है जो स्वाइप मशीन का इस्तेमाल करते हैं।

यह कार्ड बहुत कस्टमाइजेबल (सुविधानुसार सेटअप किए जाने लायक) है और इन पर कंपनियों के लोगो भी लगाए जा सकते हैं। इतना ही नहीं कंपनी की जरूरतों के मुताबिक चुनिंदा मर्चेट कैटेगरीज (दुकानों) या फिर इनके जरिए एटीएम से नगद निकासी को भी रोका जा सकता है। यह कार्ड दुकानों और इंटरनेट पर इस्तेमाल के दौरान होने वाली धोखाधड़ी के जोखिमों को भी कम करता है, क्योंकि ग्राहक इनमें डाली जाने वाली रकम को प्रतिबंधित कर सकता है और इसके जरिये ग्राहक का बैंक अकाउंट भी पता नहीं चलता।

उपभोक्ता भुगतान के क्षेत्र में प्रीपेड कार्डस आने वाले वक्त में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और भारत में प्रीपेड कार्ड का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

ट्रांसकॉर्प इंटरनेशनल लिमिटेड के बिजनेस हेड (पीपीआई) जय गोयल ने कहा, यह कार्ड बिना बैंक अकाउंट वाले उपभोक्ताओं के लिए कारगर है, क्योंकि इस प्रीपेड कार्ड के लिए किसी बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं है। बजट टूल के रूप में कार्ड धारक अपने खर्च को ट्रैक कर सकते हैं और इस पर नजर रख सकते हैं। इन खर्च का प्रबंधन लेखा विभाग के लिए आसान हो जाता है, क्योंकि इसके लिए हर निजी बिल को जांचना नहीं पड़ता और कंपनी के खर्चो के लिए यह नगदी को खत्म कर देता है। भुगतान के बाद भी रीईबंर्समेंट किया जा सकता है या फिर किसी कर्मचारी को अगर एडवांस की जरूरत पड़ती है तो भी पहले से ही इसमें रकम डाली जा सकती है।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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