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बिजनेस

ऑनलाइन खरीदारी में 92 फीसद लोग तलाशते हैं कूपन का विकल्प

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ऑनलाइन नई दिल्ली| एक प्रमुख ऑनलाइन कूपन साइट शॉप पायरेट कूपंस द्वारा कराए गए हालिया अध्ययन में ऑनलाइन कूपंस के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जो बताता है कि ज्यादातर ऑनलाइन खरीदार (करीब 92 प्रतिशत) कूपन का विकल्प तलाशते हैं। अध्ययन बताते हैं कि प्रत्येक पांच में से चार खरीदार ऑनलाइन उत्पाद या सेवा की खरीदारी से पहले कूपन के बारे में पूछने के बाद ही फैसला करते हैं।

भारत के ई-कॉमर्स में असाधारण तेजी देखी गई है और इसके आंकड़े तेजी से बढ़ हे हैं। ई-कॉमर्स बिजनेस सन 2015 में 230 लाख डॉलर तक पहुंच गया और सन 2016 के अंत तक इसके 15 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में ग्राहकों के लिए कूपन शॉपिंग अनुभव का सबसे आकर्षक हिस्सा होता है।

शॉप पायरेट के अध्ययन में सामने आया है कि कूपन तलाशने का सबसे अच्छा ठिकाना मोबाइल एप ही है। करीब 67 प्रतिशत लोग इसमें शामिल होते हैं। युवा भारतीय कूपन की खोज में ज्यादा रहते हैं (95 प्रतिशत)। अध्ययन के मुताबिक 25 से 34 आयुवर्ग वाले भारतीय कूपन के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। इसकी वजह यह है कि तकनीकी रूप से सर्वाधिक कुशल और अधिक खर्च करने वाले वेतनभोगी होते हैं।

पाया गया है कि पूरी दुनिया में भारत कूपन का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है। अमेरिका जैसे देशों को भी इस मामले में भारत ने पीछे छोड़ दिया है, जबकि ब्राजील दूसरे नंबर पर है जहां डिस्काउंट कूपन का इस्तेमाल ज्यादा होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ऑफलाइन खरीदारी करते समय भारतीयों में हमेशा मोलभाव करने और छूट पाने की प्रवृत्ति रहती है।

यहां कुछ शीर्ष ऑनलाइन स्टोर की सूची है, जहां भारतीय आकर्षक डिस्काउंट कूपन के साथ खरीदारी करना पसंद करते हैं : 1. अमेजन, 2. फ्लिपकार्ट, 3. मिंतरा, 4. स्नैपडील 5. डोमिनोज शामिल हैं। अध्ययन बताते हैं कि टियर-1 शहरों में रहने वाले लोग कूपन के सबसे बड़े उपभोक्ता होते हैं। मुंबई जैसे इन शीर्ष शहरों में 85 प्रतिशत खरीदार ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त बड़ी बचत के लिए कूपन पर भरोसा करते हैं। यह वैश्विक औसत 78 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है।

सबसे ज्यादा बचत दिलाने वाले भारतीय शहरों की सूची में टियर-1 श्रेणी के तहत मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद, दिल्ली और चेन्नई। टियर-2 के तहत मंगलोर, कोयंबटूर, लखनऊ और मैसूर आते हैं।महिलाओं की तुलना में जहां पुरुष ज्यादा कूपन की तलाश में रहते हैं, वहीं देखा गया है कि ज्यादातर लोगों के लिए डिस्काउंट कूपन की तलाश फैशन बन गया है। दरअसल ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका सहित लगभग सभी बड़े देशों में यह प्रमुख फैशन है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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