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प्रादेशिक

कई राज्यों में दवा कारोबारियों की हड़ताल का असर

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शिमला| दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग को लेकर दवा विक्रेताओं की देशव्यापी हड़ताल के तहत बुधवार को हिमाचल प्रदेश की दवा दुकानें भी बंद हैं। राज्य के 5,000 से अधिक दवा विक्रेता बुधवार को जारी हड़ताल में शामिल हैं।

हिमाचल प्रदेश केमिस्ट और ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव पंडित ने कहा, “यहां राज्यभर में खुदरा और थोक दवा की दुकानें पूरी तरह बंद हैं।”

उन्होंने बताया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में दवा की निजी दुकान चलाने वालों ने भी अपनी दुकानें बंद रखी हैं।

राज्य का नागरिक आपूर्ति निगम हालांकि बड़े अस्पतालों में अपना संचालन जारी रखे हुए है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यहां किसी भी अप्रिय वारदात की सूचना नहीं है।

दवाओं की ऑनलाइन शॉपिंग के विरोध में दवा विक्रेताओं की बुधवार को देशव्यापी हड़ताल का असर मध्य प्रदेश में भी नजर आ रहा है। सभी जगह दवा दुकानें बंद हैं, जबकि प्रदेश सरकार ने आम लोगों के लिए दवा की उपलब्धता बनाए रखने के इंतजाम किए हैं।

केंद्र सरकार द्वारा दवाओं की ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा दिए जाने के खिलाफ दवा कारोबारियों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है। उनका आरोप है कि इससे एक तरफ उनका कारोबार चौपट हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन बिक्री के कारोबार से दवाओं की आपूर्ति पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।

सरकार की इस कोशिश के खिलाफ देशभर के दवा कारोबारी बुधवार को हड़ताल पर हैं। मध्य प्रदेश में भी इस हड़ताल का असर देखा जा रहा है। हड़ताल के कारण मरीजों को दवा के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

भोपाल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित जैन ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री से सरकार का दवाओं की आपूर्ति पर किसी भी तरह का नियंत्रण न रहने की आशंका जताई है।

राज्य में 20 हजार से ज्यादा दवा दुकानें हैं, जिनमें अधिकांश में ताले लटके हुए हैं। प्रदेश के सबसे बड़े इंदौर का दवा बाजार पूरी तरह बंद है। इसी तरह भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर से लेकर राज्य के कस्बाई इलाकों तक की दवा दुकानें बंद हैं।

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने केमिस्ट एसोसिएशन की हड़ताल के मद्देनजर रोगियों के हित में जरूरी व्यवस्था की है। विभागीय अधिकारियों ने एसोसिएशन से संपर्क कर तय किया है कि बड़े निजी अस्पताल परिसर में संचालित दवा की दुकानें खुली रहेंगी। इन दुकानों पर रोगियों को दवाएं मिल सकेंगी। मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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