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कर्नाटक चुनाव : रामानगरम में कुमारस्वामी का गढ़ तोड़ना आसान नहीं
नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)| कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की जंग सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच बताई जा रही है, लेकिन राज्य में सरकार के गठन में जनता दल (सेक्युलर) किंगमेकर की भूमिका निभा सकता है।
जनता दल (जेडीएस) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। कुमारस्वामी चन्नापट्टना और रामानगरम विधानसभा सीटों से मैदान में हैं।
विधानसभा सीट संख्या-183 रामानगरम निर्वाचन क्षेत्र। राजधानी बेंगलुरू से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रामानगरम जिला केंद्र एक तालुका भी है। विश्व भर में मशहूर मैसूर की रेशम साड़ियों को रामानगरम के रेशम का उपयोग करके ही बुना जाता है।
रामानगरम शहर 70 के दशक में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग के बाद सुर्खियों में आया था। रामानगरम में दुर्लभ पहाड़ी और विशाल चट्टान हैं, जिन्हें देखने के लिए पर्यटक देश के कोने कोने से यहां आते हैं। रामानगरम में लोक कला और संस्कृति का एक छोटा संग्रहालय भी है।
रामानगरम निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सी.एम. लिंगप्पा और जेडी-एस अध्यक्ष देवगौड़ा के परिवारों के बीच संघर्ष के लिए जाना जाता है। लिगंप्पा ने 1985 में इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें जेएनपी के उम्मीदवार ने दो हजार मतों से हराया था। इसके बाद 1989 में लिंगप्पा ने 38,000 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। वहीं 1994 में एच.डी. देवगौड़ा ने लिंगप्पा को नौ हजार वोटों से हराया और मुख्यमंत्री बने। 1996 में देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने जिसके बाद हुए उपचुनाव और 1999 विधायनसभा चुनाव में लिंगप्पा ने जीत दर्ज की।
लेकिन 2004 में एच.डी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी ने रामानगरम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला किया और 25,000 वोटों के अंतर से लिंगप्पा को हराया। इसके बाद 2008 में कुमारस्वामी ने 47,000 मतों से चुनाव जीता, लेकिन 2009 लोकसभा चुनाव में वह सांसद चुने गए जिसके बाद उपचुनाव में लिंगप्पा ने जेडी-एस के राजू को 22,000 मतों से हराया। 2013 में कुमारस्वामी ने एक बार से विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस की महिला उम्मीदवार को 25 हजार वोटों से हराया।
कुमारस्वामी रामानगरम से तीन बार के विधायक (वर्तमान) भी हैं। उनकी पत्नी अनीता चन्नापट्टना से 2013 विधानसभा चुनाव हार गई थीं। उन्हें मौजूदा परिवहन मंत्री और कांग्रेस नेता एच.एम. रेवन्ना ने हराया था, जिसके बाद कुमारस्वामी ने चन्नापट्टना से भी नामांकन दाखिल किया है।
कुमारस्वामी चार फरवरी 2006 से नौ अक्टूबर 2007 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे। इस अवधि के दौरान राज्य की जीडीपी उस वक्त तक के सबसे उच्च स्तर पर थी, जिस कारण उन्हें लोगों का मुख्यमंत्री भी कहा गया। पिछले तीन विधानसभा चुनावों से रामानगरम पर जेडी-एस का कब्जा है और मैदान में वर्तमान विधायक कुमारस्वामी हैं जिन्हें इस बार भी यहां से जीत का पूरा भरोसा है।
वहीं विपक्षी कांग्रेस ने एच.ए. इकबाल हुसैन को मैदान में उतारा है। पूर्व मुख्यमंत्री लिगंप्पा के बाद कांग्रेस के पास रामानगरम निर्वाचन क्षेत्र से कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जिसके कारण यहां से जीता पाना पार्टी के लिए आसान नहीं है। इकबाल पूर्व जिला पंचायक अध्यक्ष रह चुके हैं, जिन्हें बेंगलुरू ग्रामीण से सांसद डी.के. सुरेश का करीबी माना जाता है।
इसके अलावा रामानगरम निर्वाचन क्षेत्र में अपनी जड़े तलाश रही भाजपा ने लीलावती को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। पार्टी ने जेडीएस के दिग्गज नेता के खिलाफ नए चेहरे लीलावती पर दांव लगाया है हालांकि उन्हें टिकट देने पर पार्टी की क्षेत्रीय इकाई ने अपना गुस्सा जाहिर किया था।
मुख्य दलों के अलावा इंडियन न्यू कांग्रेस पार्टी के जे.टी. प्रकाश और नौ निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पहले ही जनता दल (सेक्युलर) को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है।
कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 मई को मतदान होगा और मतों की गणना 15 मई को होगी।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।
इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।
इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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