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हेल्थ

किसी को उबासी लेता देखकर क्यों आती है उबासी?

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उबासी

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नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि किसी व्यक्ति को उबासी लेता देखकर आपको भी उबासी क्यों आने लगती है? उबासी लेने की समयावधि क्या होती है या फिर मनुष्य किस उम्र से उबासी लेना शुरू कर देता है? अमूमन, उबासी एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है लेकिन इससे जुड़ी कई छोटी-बड़ी बातों पर हम ध्यान नहीं देते हैं। हालांकि डॉक्टर उबासी को संक्रामक नहीं मानते हैं लेकिन यह काफी हद तक इसी तरह बड़ी तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व दूसरे से तीसरे व्यक्ति में फैलती है।

उबासी को लेकर हमारे समाज में अनेक भ्रांतियां हैं। मसलन, इसे नींद आने या बोरियत से जोड़कर देखा जाता है? जबकि प्रिंसटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि उबासी नींद आने या बोरियत का संकेत नहीं है बल्कि यह दिमाग के तापमान को नियंत्रण में रखती है। हमारे शरीर की संरचना और कार्यविधि इस प्रकार से व्यवस्थित है कि नहीं चाहते हुए भी उबासी की स्थिति में एकाएक मुंह खुल जाता है। इससे दिमाग को ठंडक तो मिलती ही है साथ में चेहरे की मांसपेशियों में भी खिंचाव होता है।

अमेरिकन अकादमी ऑफ स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित शोध के मुताबिक उबासी से शरीर में ऑक्सीजन की कमी की भरपाई भी होती है। दरअसल, जब फेफड़ों को पंप करने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती तो वह मुंह से उबासी के जरिए ऑक्सीजन की भरपाई करता है। मस्तिष्क अपने वॉल्स को ठंडा रखने के लिए उबासी लेता है।

वर्ष 2004 में किए गए एक अध्ययन में यह बात निकल कर सामने आई थी कि 50 प्रतिशत लोग सामने वाले को देखकर उबासी लेते हैं। 2012 में किए गए शोध के मुताबिक आनुवंशिक और भावनात्मक रूप से जुड़े लोगों को उबासी लेते देखकर अधिक उबासी आती है।

यह तो स्पष्ट है कि मनुष्यों के साथ जीव-जंतु सहित कई अन्य प्रजातियां भी उबासी लेती है। लेकिन क्या आपको पता है कि एक भ्रूण मां के गर्भ में 11वें हफ्ते से ही उबासी लेना शुरू कर देता है। आमतौर पर उबासी की समयावधि छह सेंकड की होती है। लेकिन यह कभी कभार इससे थोड़ी अधिक भी हो जाती है। मनुष्य अपने जीवनकाल में औसतन 2 लाख 40 हजार बार उबासी लेता है।

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधार्थियों ने अध्ययन में पता लगाया है कि मनुष्य में अत्यधिक उबासी भी काफी कुछ बयां करती है। मसलन, यदि आपको थोड़ी-थोड़ी देर में उबासी आ रही है तो यह अनिद्रा की निशानी है, जिससे आगे चलकर कई तरह की बीमारियां हो जाती है। उबासी को रोकने पर भी शरीर पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इसलिए चिकित्सक भी कहते हैं कि उबासी आने पर इसे रोकना नहीं चाहिए।

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हेल्थ

दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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