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किस गली रहती है लखनऊवा नफासत आजकल

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लखनऊ, राजधानी के मोती महल लॉन,व्यंग्य की दिशा और दशा, राष्ट्रीय पुस्तक मेले, लेखकों और पाठकों का समागम

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लखनऊ। राजधानी के मोती महल लॉन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में लेखकों और पाठकों का समागम हो रहा है। कहानी, कविता, निबन्ध और उपन्यास पर चर्चाएँ हो रही हैं। व्यंग्य की दिशा और दशा पर बात हो रही है। यहाँ पर एक तरफ गीत हैं तो दूसरी तरफ संगीत भी है। बीच-बीच में स्वास्थ्य पर चर्चा भी होती रहती है। पुस्तक मेले के स्टालों की बात करें तो यहाँ पर कोई भी विषय अछूता नहीं है। सुपरिचित साहित्यकारों की पुस्तकें हैं तो बच्चों की किताबों का भी अच्छा ख़ासा संग्रह है। राम कृष्ण मठ के स्टाल पर स्वामी विवेकानन्द का भक्ति योग, कर्मयोग, ज्ञानयोग और राजयोग देखा जा सकता है। यहाँ पर विवेकानन्द की ढेर सारी किताबें पाठकों के आकर्षण का केन्द्र हैं। जीने की कला, ध्यान, आत्मानुभूति, महाभारत, विवेक लहरी, वार्तालाप, मन की शान्ति, हिन्दू धर्म और अमृत सन्देश सहित तमाम किताबें हैं। इस स्टाल पर पैगम्बर मोहम्मद, ईसा मसीह, भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम चन्द्र जी, स्वामी पुरुषोत्तमानन्द, स्वामी अभेदानन्द और श्री रामकृष्ण के उपदेश की किताब यहाँ पर लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन रही है। पुस्तक मेले में महिलाओं और बच्चों की पसन्द की तमाम पुस्तकें हैं।

पुस्तक मेले के सांस्कृतिक पंडाल में आज ज्ञानवर्द्धक पुस्तक हमारी वास्तु हमारी नई राह का प्रमोशनल कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर लेखिका श्रीमती सुमन अग्रवाल ने पुस्तक के बारे में बताया कि पुस्तक में वास्तु और विज्ञान का मिश्रण है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग वास्तु को अंधविश्वास मानते हैं जबकि यह पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित होता है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में वास्तु और आधुनिक विज्ञान का मिश्रण है। यह पुस्तक माडर्न आर्किटेक्चर और इंटीरियर डिजाइन में काफी जानकारियाँ देने वाली है। उन्होंने कहा कि वास्तु विज्ञान सदियों पुराना विज्ञान है, लेकिन आजकल के लेखकों ने इसे ऊंचाइयों पर पहुंचाने में काफी योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक देश भर में उपलब्ध है। पुस्तक मेले के आयोजक देवराज अरोड़ा और उमेश ढल ने बताया कि पुस्तक मेले से चिकित्सकों और अन्य विधा के लोगों को भी जोड़ा गया है ताकि यहाँ आने वालों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुँच सके।

आज यहाँ अखिलेश निगम अखिल के अतिथि संपादन में प्रकाशित पत्रिका हमारी धरती के नशा मुक्ति विशेषांक का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। अलीगढ़ से प्रकाशित इस पत्रिका का संपादन सुबोध नन्दन शर्मा द्वारा किया गया है। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि यूपी सरकार के सेवा निवृत्त प्रमुख सचिव और राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ। हर शरण दास थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस महानिदेशक रंजन द्विवेदी ने की। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के उपाध्यक्ष विजय प्रसाद त्रिपाठी और हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक विनोद चन्द्र पाण्डेय विनोद बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में मौजूद थे। वक्ताओं ने पत्रिका के नशा मुक्ति विशेषांक निकलने पर बधाई दी।

अपर पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान अखिलेश निगम अखिल ने इस मौके पर कहा कि सम्पूर्ण देश में नशा मुक्ति अभियान चलाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि नशा वास्तव में नाश की सीढ़ी है। उन्होंने हम सुधरेंगे जग सुधरेगा का नारा दिया। कार्यक्रम का संचालन राजेश द्विवेदी आग्नेय ने किया।

सांस्कृतिक पंडाल में माध्यम साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन लोगों ने पूरे मनोयोग से सुना। वरिष्ठ रचनाकार सरवर लखनवी ने सुनाया :- दुनिया ने छोड़ा साथ अश्कों ने यह कहा, सरवर तुम्हारा साथ निभाया करेंगे हम, प्रभात यादव का यह शेर काफी पसंद किया गया :- जीवन जीने का अलग अपना हो अंदाज़, अपने-अपने पंख हों अपनी हो परवाज़,
धीरज मिश्र ने कहा :- अजब दौर है आज का आँखों में तेज़ाब, जलती-जलती ज़िन्दगी जलते-जलते ख्वाब। सरस कपूर ने सुनाया :- वह जो गई तो हुआ जीवन ही छिन्न-भिन्न, साँसें चलती हैं पर ज़िन्दगी चली गई। नवाब इलाहाबादी की यह बानगी देखने के लायक थी :-चौक में देखी नहीं देखी न कैसरबाग में, किस गली रहती है लखनऊवा नफासत आजकल।
कवि सम्मलेन में डॉ। शिव भजन कमलेश, अनूप श्रीवास्तव, राजेश राज, जगमोहन नाथ कपूर, रामशंकर वर्मा, डॉ। आशुतोष वाजपेई और योगेश पाण्डेय ने भी अपनी रचनाओं से समां बाँधा।

वरिष्ठ साहित्यकार कामतानाथ की पुस्तक कालकथा के चार खण्डों का आज यहाँ लोकार्पण भी हुआ। प्रकाशन केन्द्र द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक कामतानाथ जी की तीस साल की मेहनत का नतीजा है। हालांकि वह खुद कहते थे कि इस से इससे ज्यादा वक़्त तो इसके बारे में सोचने में लगाया।
इप्टा के राकेश के संचालन में हुए लोकार्पण समारोह में राजेन्द्र राव ने कहा कि कामतानाथ जिस बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे वैसे लोग बहुत कम पैदा होते हैं। विभिन्न विधाओं में पारंगत कामतानाथ को लखनऊ संभाल नहीं पाया। उन्होंने कहा कि कामतानाथ की कहानियों में इतना दम था कि कोई उसे शुरू कर बीच में छोड़ नहीं सकता था। उनका हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू पर सामान अधिकार था। उन्होंने रिज़र्व बैंक में नौकरी की और नए लेखकों को प्रोत्साहन देने का काम करते रहे। कानपुर में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने अद्भुत साहित्यिक वातावरण बनाया।

लेखक मोहम्मद मसूद ने कहा कि कालकथा 1919 से 1952 के बीच की कहानी है। इसमें अवध की जीवन शैली देखने को मिलती है। ओपी सिन्हा ने कहा कि यह किताब इतिहास पर नहीं लेकिन इतिहास द्रष्टि पर है। वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी और वरिष्ठ साहित्यकार शकील सिद्दीकी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। संगीत गुरु बसंत सैकिया की पुस्तक मेरे सिवा किसने देखा का लोकार्पण भी आज यहाँ हुआ। शाम को सांस्कृतिक पंडाल में लोकांजलि सांस्कृतिक ग्रुप ने मनभावन गीत-संगीत का कार्यक्रम पेश किया।

पुस्तक मेले में कल
अजयश्री की पुस्तक शब्द कुछ कहते हैं का लोकार्पण पूर्वाह्न 11 बजे।
झिलमिल मान्या की पुस्तक वेपर अवर डेंसिटी मीट्स का लोकार्पण दोपहर 12.30 बजे
कवियत्री सम्मलेन दोपहर 2 बजे।
इन्द्रजीत कौर की पुस्तक ईमानदारी का सीज़न का लोकार्पण
बीमारियाँ और हम विषय पर डॉ. ए.के.त्रिपाठी और डॉ. ए.के. अग्रवाल द्वारा चर्चा शाम 5.30 बजे से 6.30 बजे तक।
कवि सम्मलेन ढाई आखर प्रेम का का आयोजन शाम 7 बजे से।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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