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प्रादेशिक

केंचुआ और कचरे ने कर्ज से उबारा

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रायपुर/कांकेर| छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के मेहनती किसान चंद्रशेखर साहू ने यह साबित कर दिखाया कि सच्ची लगन से कोई भी कार्य किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। किसान ने केंचुआ और कचरे से बने जैविक खाद का उपयोग कर फसलों की उपज इतनी बढ़ा ली कि कर्ज से मुक्त हो गया।

कांकेर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर बसा पुसवाड़ा एक जनजाति बहुल गांव है। इस गांव के अधिकांश लोग पढ़े-लिखे हैं। यहां की मुख्य फसल धान, चना एवं सब्जी-भाजी है। क्षेत्र में कृषि के विकास की संभावनाएं देख कांकेर के पूर्व कृषि उपसंचालक कपिलदेव दीपक ने पुसवाड़ा का चयन आदर्श ग्राम के रूप में किया। जैविक खाद का उपयोग कर खुद को कर्ज से उबारने वाले चंद्रशेखर साहू इसी गांव के हैं।

वह महज 10वीं पास हैं। उनकी उनकी आर्थिक स्थिति दो साल पहले तक खराब थी। बड़ी मुश्किल से बड़े संयुक्त परिवार का गुजारा हो पाता था। परिवार के अधिकांश सदस्य मनरेगा के तहत कार्य करने जाया करते थे। आमदनी मामूली थी, इसलिए आर्थिक समस्या हमेशा बनी रहती थी। इस परिवार के पास छह एकड़ खेत था। रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने के कारण मिट्टी खराब हो गई थी। उपज घटता चला गया और परिवार कर्ज के बोझ के तले भी दबने लगा।

चंद्रशेखर साहू ने एक दिन टेलीविजन पर ‘कृषि दर्शन’ कार्यक्रम देखा। कार्यक्रम में बताया गया कि केंचुआ और कचरों से खाद बनाकर उपयोग करने से खेत की उपज काफी बढ़ जाती है और मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। कृषि विभाग जैविक खाद बनाने के लिए 12 हजार रुपये का अनुदान देता है।

यह बात चंद्रशेखर को जंच गई। उन्होंने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क किया। उनके बताए तरकीब के मुताबिक चंद्रशेखर ने 10 गुना 3 गुना 2 फीट आकार के पक्के वर्मी टांका का निर्माण कराया। उसमें साग-सब्जियों के टुकड़े, गोबर व कचरा भरकर टांका को पैक किया। फिर उसमें दो किलो प्रति टंकी के हिसाब से केंचुआ डाला। इस तरह जैविक खाद तैयार हो गया। तीन महीने में ही इनकी मेहनत रंग लाई और इसके बाद किसान चंद्रशेखर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

चंद्रशेखर अब जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) का उपयोग न सिर्फ अपने खेतों में करते हैं, बल्कि खाद तथा केंचुआ बेचकर भी अच्छी-खासी आमदनी हासिल कर लेते हैं। वह खेती में लगने वाले सभी खर्चो का लेखा-जोखा रखते हैं।

उन्होंने बताया, “इस साल दो और पक्के वर्मी टांका बनाने की योजना है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग और बिक्री से मुझे 30 हजार रुपये की शुद्ध बचत हुई है और अब पूरी तरह कर्ज से मुक्ति मिल गई है।”

 

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी

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प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।

श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था

संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती

महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।

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