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केंद्र ने लखनऊ मेट्रो के लिए जारी किए 250 करोड़ रुपये
नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसने उत्तर प्रदेश के लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के लिए 250 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। परियोजना की कुल लागत 7000 करोड़ रुपये है। प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह इससे पहले 300 करोड़ रुपये की राशि जारी कर चुका है। इस तरह परियोजना को पूरा करने के लिए उसकी वादा की गई सहायता राशि कुल 550 करोड़ रुपये हो चुकी है। यह परियोजना संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र का उद्यम है।
बयान में कहा गया कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 23 किमी लंबी मेट्रो लाइन के शीघ्र कार्यान्वयन के आदेश दिए हैं। सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री पद के विधानसभा चुनावों में संभावित उम्मीदवार में हैं। परियोजना के प्रथम चरण –ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग– को लोगों के लिए मार्च 2017 में खोले जाने की उम्मीद है। इसका पहला ट्रायल परीक्षण एक दिसंबर को इस साल किया गया।
केंद्रीय मंत्रालय ने कहा कि लखनऊ मेट्रो की अनुमानित लागत 6928 करोड़ रुपये है। इसमें से केंद्र सरकार 1,003 करोड़ रुपये इक्विटी की हिस्सेदारी में, 297 करोड़ रुपये अधीनस्थ कर्ज के तौर पर और 3,500 करोड़ रुपये कर्ज सहायता के रूप में मुहैया कराएगी।उत्तर प्रदेश सरकार को अपने हिस्से की बाकी राशि 2128 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी होगी। केंद्र सरकार ने इस वर्ष मार्च महीने में यूरोपीय निवेश बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, ताकि लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए 3,500 करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया जा सके।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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