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खुद देह व्यापार झेल यौनकर्मियों का सहारा बनी एक और ‘निर्भया’ (विशेष श्रृंखला)

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हैदराबाद, 1 अप्रैल (आईएएनएस)| दिल्ली की अंधेरी सड़कों पर काली दिसंबर की एक रात सामूहिक दुष्कर्म का शिकार होने के बाद अपने हमलावरों से लड़ने और अपने आंतरिक जख्मों के कारण दम तोड़ने से पहले कई दिनों तक अपने जीवन के लिए ढ़ इच्छाशक्ति से संघर्ष करने वाली साहसी युवती को निर्भया नाम दिया गया था। उस निर्भया की कहानी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छा गई थी।

तेलंगाना की जयम्मा भंडारी भी ऐसी ही एक अन्य निर्भया हैं, जिन्होंने केवल अपनी जिंदगी बदलने के लिए ही लड़ाई नहीं लड़ी, बल्कि दक्षिण एशिया में पनपते देह व्यापार में धकेल दी गईं, अन्य कई बच्चियों व महिलाओं की जिंदगी संवारने का भी बीड़ा उठाया।

तीन साल की नन्हीं उम्र में सिर पर से मां-बाप का साया उठने और बेहद गरीबी में बचपन बिताने के बाद शादी होने पर जयम्मा को लगा कि उनकी जिंदगी शायद अब बदल जाएगी, लेकिन शादी के बाद खुद उनके पति ने ही उन्हंे देह व्यापार में धकेल दिया।

लेकिन जयम्मा ने इस गंदे धंधे में धकेल दी गई अन्य पीड़िताओं की तरह हार मानकर अपनी किस्मत से समझौता नहीं किया, बल्कि इससे लड़ने का फैसला किया और अपने जैसी कई अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं।

40 वर्षीया जयम्मा का संगठन चैतन्य महिला मंडली (सीएमएम) यौन कर्मियों को इस पेशे को छोड़ने और इसके स्थान पर कोई अन्य वैकल्पिक सम्मानजनक पेशा अपनाने में मदद करता है। सीएमएम यौन अधिकारों और प्रजनन स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए झुग्गी बस्तियों में कौशल विकास और रोजगार परक कार्यक्रम चलाता है।

नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नाको) के अनुसार, देश में 16.5 लाख पंजीकृत यौनकर्मी हैं, जो बेहद दुष्कर जीवन जीने के लिए बाध्य हैं, हालांकि वास्तविक आंकड़े इससे भी कहीं अधिक हो सकते हैं। वे इस पेशे में अपनी मर्जी से नहीं हैं, लेकिन फिर भी वे इसके साथ जुड़े कलंक के साथ और समाज से बहिष्कृत, अकेलेपन और कचरे की तरह फेंक दिए जाने के अहसास के साथ जीने के लिए मजबूर हैं। इतना ही नहीं इस पेशे में रहने के कारण उनके विभिन्न यौन संक्रमित रोगों से ग्रस्त होने का खतरा भी बना रहता है।

जयम्मा देह व्यापार से जुड़ी करीब 5,000 महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने में अपना योगदान दे चुकी हैं और इनमें से करीब 1,000 महिलाएं अब किसी अन्य वैकल्पिक और सम्मानजनक पेशे को अपना चुकी हैं। इतना ही नहीं, उनके प्रयासों से यौन कर्मियों के 3,500 से भी अधिक बच्चे भी रोजगार परक कौशल हासिल कर चुके हैं।

प्यार से ‘अम्मा’ कहकर संबोधित की जाने वाली जयम्मा को अपने अथक प्रयासों के लिए पिछले महीने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार से भी नवाजा गया।

जयम्मा हैदराबाद से करीब 300 किलोमीटर दूर नालगोंडा जिले में स्थित नाकराकाल में अपने मामा के घर में पली-बढ़ीं। बेहद मुश्किल हालातों में बीते बचपन और किशोरावस्था के बाद उनकी शादी हैदराबाद में रहने वाले एक शख्स से हुई, जिसने बेटी के पैदा होते ही जयम्मा को देह व्यापार में जाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। इनकार करने की सजा के रूप में उन्हें पति के हाथों मारपीट और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती। आखिरकार कोई सहारा न पाकर बेहद कम पढ़ी लिखी जयम्मा पति की इच्छा मानने के लिए मजबूर हो गईं।

हर बार वासना से भरे अपने ग्राहक के आगे अपना जिस्म बेचने वाली जयम्मा एक निर्जीव शरीर जैसी हो चुकी थीं। उनके मन में कई बार आत्महत्या का भी ख्याल आया, लेकिन खुद की मौत के बाद बेटी के साथ क्या होगा और उसे भी इसी नापाक धंधे में धकेल दिए जाने के डरावने ख्याल मात्र ने जयम्मा को अपनी मर्जी के विरुद्ध काम करने को बाध्य किया।

जयम्मा चाहती थीं कि वह किसी भी सूरत में इस पेशे को छोड़कर कोई सम्मानजनक पेशा अपनाएं, लेकिन उन्हें कोई राह दिखाई नहीं दे रही थी।

हैदराबाद के एक एनजीओ में कार्यरत जय सिंह थॉमस से मुलाकात ने जयम्मा को देह व्यापार छोड़ने और अपने जैसी अन्य पीड़िताओं के लिए काम करने का हौसला दिया। थॉमस की मदद और प्रोत्साहन से जयम्मा ने एक ऐसा संगठन स्थापित करने का फैसला किया जो यौनकर्मियों को यह पेशा छोड़कर कोई अन्य सम्मानजनक पेशा अपनाने में मदद करे। और इस प्रकार जयम्मा यौनकर्मियों के जीवन में बदलाव लाने की यात्रा पर निकल पड़ीं।

हालांकि जयम्मा के पति उनकी इस नई यात्रा से खुश नहीं थे और उन्हें पति के गुस्से और प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। आखिरकार 2012 में अपनी बेटी की मदद से जयम्मा ने साहस जुटाकर अपने पति को उनकी जिंदगी से दूर चले जाने को कह दिया।

जयम्मा और उनका संगठन उनके जैसी ही अन्य पीड़िताओं तक पहुंचने का प्रयास करते हैं, उन्हें समझाते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि उनकी जिंदगी में भी उजाला हो सकता है।

जयम्मा कहती हैं, इस पेशे से जुड़ी महिलाओं को समझाना बेहद मुश्किल काम होता है, क्योंकि ये महिलाएं खुद शराब, मादक पदार्थों और यौन कर्म की लत की शिकार हो चुकी होती हैं और ऐसे गर्त भरे जीवन में रहने की आदि हो चुकी होती हैं।

उनके मन में कई प्रश्न घूम रहे होते हैं – क्या यह पेशा छोड़ने के बाद वे खुद के लिए और अपने बच्चों के लिए पर्याप्त कमा पाएंगी, उनकी पिछली जिंदगी के कारण अगर समाज उन्हें स्वीकार नहीं करता तो क्या उनकी स्थिति और अधिक दुष्कर नहीं हो जाएगी।

जयम्मा कहती हैं, हमारे सामने उनका विश्वास जीतने और इस काम के लिए जरूरी हर संभव मदद का आश्वासन देकर उन्हें यह पेशा छोड़ने के लिए समझाने की चुनौती होती है।

जयम्मा के अनुसार, ऐसे मामलों में जबरन पुनर्वास काम नहीं करता और उनकी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए बुरी लतें छुड़ाना, काउंसलिंग और स्लो लॉन्गटर्म थेरेपी जरूरी होती है।

एक ऐसे समाज में जहां, बड़े शहरों में कुछ दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए आवाजें उठाई जाती हैं और कैंडल मार्च निकाले जाते हैं, एक कटु सत्य यह भी है कि छोटे शहरों, कस्बों में ऐसी कई अन्य पीड़िताओं को देह व्यापार में जबरन धकेल दिया जाता है और कलंक से भरा जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया जाता है, उन्हें आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है।

यौनकर्मियों के जीवन की त्रासदी उन तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि ऐसी महिलाओं के बच्चों की स्थिति और भी अधिक भयावह होती है। वे सबसे आसान शिकार होते हैं और अधिकतर इसी धंधे या इससे जुड़े अन्य धंधों में धकेल दिए जाते हैं।

जयम्मा बताती हैं, हैदराबाद में कोई रेड लाइट एरिया नहीं है और यौनकर्मी बाहर सड़कों पर निकलकर अपने ग्राहक ढूंढ़ती हैं। उनके पास अपने बच्चों को कहीं और छोड़कर जाने का ठिकाना नहीं होता इसलिए वे उन्हें भी अपने साथ ले जाती हैं। ऐसे में कई बार अपने खुद के बच्चों को अपने सामने ही दुष्कर्म का शिकार होते देखना इन मांओं के लिए सबसे अधिक त्रासदीपूर्ण होता है।

जयम्मा को महसूस हुआ कि यौन कर्मियों के बच्चों को पीड़ित होने से बचाने के लिए काम करना और भी ज्यादा जरूरी है। इस उद्देश्य के लिए 2011 में उन्होंने चैतन्य हैप्पी होम की स्थापना की, जहां यौन कर्मियों के बच्चों को जीवन की सभी बुनियादी जरूरतें – भोजन, शिक्षा उपलब्ध कराना, जीवन कौशल और एक सुरक्षित छत मुहैया कराई जाती है।

सीएमएम केवल यौनकर्मियों के बच्चों के पुनर्वास में ही मदद नहीं करता, बल्कि बाद में भी इस बात की पूरी निगरानी रखता है कि बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं। आज ऐसे 43 बच्चे अपनी आंखों में शिक्षक, इंजीनियर और डॉक्टर बनने का सपना संजोए जयम्मा के इस होम में हंसी खुशी से पल बढ़ रहे हैं।

यौन कर्मियों को हेय दृष्टि से देखने का समाज का सदियों पुराना रवैया बदलने के उद्देश्य से और मानव तस्करी की रोकथाम के लिए एक तंत्र विकसित करने की नींव रखने के लिए चैतन्य महिला मंडली तेलंगाना में पुलिस अधिकारियों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है।

क्या भारत में देह व्यापार को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए? इस सवाल पर जयम्मा साफ शब्दों में कहती हैं, नहीं, पहले सही और कड़े कानून बनने जरूरी हैं। नीति निर्धारक, पुलिस और कार्यकतार्ओं को इस मुद्दे पर निरंतर संवेदनशील बनाने की जरूरत है।

जयम्मा को उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए और अथक भावना के लिए कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्टी ने भी 2017 में एक्जेंपलर अवॉर्ड से सम्मानित किया।

(यह साप्ताहिक फीचर श्रृंखला आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन की सकारात्मक पत्रकारिता परियोजना का हिस्सा है)

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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