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प्रादेशिक

गाजीपुर : रेप के 4 आरोपियों को 14 वर्ष का कठोर कारावास

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गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला सत्र न्यायालय (फास्ट ट्रैक) के न्यायाधीश (प्रथम) मुकेश रंजन ने दुष्कर्म मामले के चार आरोपियों को 14 वर्ष के कठोर कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर आरोपियों को छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, भुड़कुड़ा थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर ग्राम निवासी एक महिला ने आरोपियों के विरुद्ध थाने में एफआईआर दर्ज कराया कि 21 अक्टूबर 2007 की रात 9.30 बजे उनके घर पर डिक्की सिंह व अन्य पांच लोगों ने अचानक धावा बोल दिया तथा वादिनी को मारपीट कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। वादिनी की लड़की सुमन इस घटना को देखकर डर गई और भागने लगी।

अभियुक्तों ने उसे दौड़ाकर पकड़ा लिया और उसके साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया। शोर सुनकर बेचनी देवी मौके पर आ गई, जिसने मुज्लिमों का विरोध किया तो वे उसे भी उठा लिए और दो सौ मीटर दूर ले जाकर उसके साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया तथा जान से मार डालने की धमकी देते हुए चले गए।

इस मामले में वादिनी उर्मिला देवी ने पुलिस अधीक्षक के यहां 28 अक्टूबर 2007 को प्रार्थनापत्र दिया, जिस पर विवेचना की गई। विवेचक ने विवेचना के दौरान तीन अन्य आरोपियों के भी नाम बढ़ा दिए। पुलिस ने चार आरोपियों- क्रमश: भुड़कुड़ा थाना क्षेत्र के इब्राहिम् पुर निवासी डिक्की सिंह, संजय सिंह, राजू सिंह व बहरियाबाद थाना क्षेत्र के नसीरपुर गांव निवासी सुहाग यादव के विरुद्ध न्यायालय में आरोपपत्र प्रस्तुत कर दिया। इस पर विचार हुआ। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल आठ गवाह परीक्षित किए गए।

न्यायालय ने दुष्कर्म, मारपीट, जान से मारने की धमकी के मामले में सभी चार आरोपियों को दोषी पाया। न्यायालय ने धारा 376 के अंर्तगत 14 साल कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना, धारा 354 में पांच वर्ष की कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना, धारा 506 में एक वर्ष की कैद व एक हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 323 में छह माह कैद की सजा सुनाई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

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उत्तर प्रदेश

निराश्रित बच्चों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण बनाने में जुटी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला कल्याण विभाग ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और सुरक्षा के लिए एक नई और महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न जनपदों में 10 नए बाल संरक्षण गृहों का निर्माण और संचालन किया जाएगा। इन संरक्षण गृहों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है, जहाँ वे अच्छे नागरिक के रूप में विकसित हो सकें।

वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या समेत 10 जिलों में बनेंगे नए बाल संरक्षण गृह

महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना के अनुसार, प्रदेश के मथुरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, आजमगढ़, झांसी, अमेठी, फिजाबाद, देवरिया, सुल्तानपुर, तथा ललितपुर में इन संरक्षण गृहों की स्थापना की जाएगी। हर संरक्षण गृह में 100-100 बच्चों को रखने की क्षमता होगी, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को लाभान्वित किया जा सके। इनमें 1 राजकीय बाल गृह(बालिका) 1 राजकीय बाल गृह (बालक), 7 राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), किशोर न्याय बोर्ड सहित 1 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह शामिल है। इन संरक्षण गृहों में बच्चों को न केवल रहने की सुविधाएं दी जाएंगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का भी ध्यान रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग इन संरक्षण गृहों की स्थापना से असहाय और संवेदनशील बच्चों को एक नया जीवन देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इन गृहों में बच्चों को एक संरक्षित वातावरण में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जीवन कौशल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम

इस योजना के तहत राज्य सरकार ने बाल संरक्षण गृहों के निर्माण के लिए आवश्यक फंड भी निर्धारित किए हैं। सभी गृहों का निर्माण योगी सरकार अपने बजट से करेगी। वहीं इन गृहों के संचालन में केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्राविधानों के केंद्रांश-60 प्रतिशत और राज्यांश-40 प्रतिशत के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। योजना के सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन गृहों का निर्माण और प्रबंधन गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कंसल्टेंट्स का चयन भी किया है, ताकि इन बाल संरक्षण गृहों में दी जाने वाली सेवाओं का उच्चतम स्तर सुनिश्चित किया जा सके।

बाल अधिकारों की रक्षा में सीएम योगी का सशक्त प्रयास

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या उपेक्षित महसूस न करे। सीएम योगी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि वे समाज के भविष्य हैं। इस योजना के तहत बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो उनकी सुरक्षा और कल्याण के प्रति संजीदा होंगे। इन बाल संरक्षण गृहों में बच्चों को उनकी उम्र और जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाएंगी, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

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