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गोरे काले का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है
नई दिल्ली। लगता है भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता ही उनके लिए भस्मासुर बन गए हैं। अपने विवादित बयानों से लगातार पार्टी को संकट में डालने वाले इन नेताओं पर पार्टी ने यदि समय रहते लगाम नहीं लगाया तो आने वाले विभिन्न चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसकी एक बानगी दिल्ली विधानसभा चुनाव भी हैं।
घर को आग लगाने वाले चिरागों में ताजा नाम केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर विवादित व नस्लीय टिप्पणी करने वाले गिरिराज सिंह पहले भी अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में आ चुके हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी के विरोधियों को पाकिस्तान भेजने वाली टिप्पणी पर स्वयं मोदी ने भी नाराजगी जताई थी।
कहते हैं कि सत्ता का नशा आदमी को पागल कर देता है। भाजपा के कुछ नेताओं में भी लगातार ऐसा ही पागलपन दिखाई दे रहा है। साध्वी प्राची, केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति सहित तमाम ऐसे लोग हैं जिन्होंने जब-तब भाजपा को कठघरे में खड़ा किया है। शुक्र है कि भाजपा के किसी बड़े नेता ने ऐसे बोल वचनों का समर्थन न करते हुए लगातार इसकी भर्त्सना की है। प्रधानमंत्री ने भी ऐसे बयानों की निंदा की है।
सवाल यह है कि विकास के मुद्दे पर भारी जनसमर्थन के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा के नेताओं को हो क्या गया है? पार्टी विद अ डिफरेंस कही जाने वाली पार्टी में इस तरह के डिफरेंसेस व अभद्र भाषा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। पार्टी नेतृत्व को ऐसा बयान देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने में देर नहीं करनी चाहिए। अच्छा हो पार्टी के जिम्मेदार लोग जल्द से जल्द कार्यवाही कर अच्छा संदेश देवें।
विकास के रास्ते भारतीय जनमानस के दिल में लगातार गहरे पेवस्त होते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह में ऐसे नेता रूकावट हैं। विवादित बयानों के जरिये चर्चा में बने रहने के बजाय ऐसे लोगों को मोदी से सीख लेनी चाहिए जो लगातार अपनी मेहनत और कार्यों के बल पर विश्व नेताओं में अपनी जगह बना चुके हैं। विवादित केंद्रीय मंत्रियों को तो अपने विभाग में नित नए प्रयोग व कार्यों के माध्यम से लोगों को प्रभावित करना चाहिए न कि विवादास्पद टिप्पणियों के जरिये।
लोकतंत्र में सत्ता किसी की बपौती नहीं है। पांच साल बाद फिर उसी जनता के दरवाजे जाना पड़ता है जिससे वादे करके आप सत्ता प्रतिष्ठानों की शोभा बढ़ा रहे हैं। जनता हिसाब मांगेगी इसलिए अपना राजनैतिक बहीखाता दुरूस्त रखने की जरूरत है।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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